भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते की घोषणा जल्द होने की उम्मीद है, जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए संभावित टैरिफ से भारत को राहत मिल सकती है। व्हाइट हाउस की ओर से भी सकारात्मक संकेत मिले हैं, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों की मजबूती का पता चलता है। यह समझौता 9 जुलाई की समय सीमा से पहले होने की संभावना है, क्योंकि इस तारीख के बाद अमेरिका द्वारा घोषित 26% के नए टैरिफ लागू हो जाएंगे, जिससे भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता है।
किन चीज़ों पर अटकी है गाड़ी?
हालांकि, इस समझौते में अभी भी कुछ मुद्दे हैं जिन पर सहमति बननी बाकी है। मुख्य रूप से, मतभेद ऑटो पार्ट्स, स्टील और कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क को लेकर हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत सोयाबीन, मक्का, कारों और शराब जैसे कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में और कटौती करे, साथ ही गैर-टैरिफ बाधाओं को भी कम करे।
भारत अपनी ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है। कृषि क्षेत्र भारत के 45% से अधिक कार्यबल का समर्थन करता है, और कोई भी समझौता जो कृषि को प्रभावित करता है, वह राष्ट्र की आजीविका और खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। भारत संवेदनशील क्षेत्रों जैसे डेयरी, चावल और गेहूं जैसे उत्पादों को अमेरिकी उत्पादों से बचाने के लिए टैरिफ घटाने की संभावना कम रखता है।
इसके बावजूद, सकारात्मक बात यह है कि भारत अब वैश्विक मूल्य श्रृंखला (ग्लोबल वैल्यू चेन) में बहुत मजबूती से जुड़ गया है, और द्विपक्षीय व्यापार 191 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, जिससे अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। इस अंतरिम डील का लक्ष्य साल के अंत तक एक व्यापक समझौते का रास्ता साफ करना है, जिससे 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जा सके। भारत ने पहले ही कुछ क्षेत्रों में टैरिफ कम किए हैं, जैसे झींगा, हाई-एंड मोटरसाइकिल और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पाद।