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    रील लाइफ में जी रहे युवाओं में हिट रहा महाकुंभ.. सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा सर्चिंग

    उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 45 दिन तक चले महाकुंभ में 66.30 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। इनमें युवाओं की रिकॉर्ड भागीदारी रही। महाकुंभ ने रील लाइफ में जी रहे युवाओं को सनातन परंपरा से जोडऩे में अहम भूमिका निभाई। महाकुंभ में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं में करीब आधे 25 वर्ष या इससे कम उम्र के थे। यही नहीं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सनातन धर्म, वेद-पुराण और गीता से जुड़े विषयों की खोज 300 गुना तक बढ़ गई। नई पीढ़ी सनातन संस्कृति और अध्यात्म की ओर आकर्षित हुई है। देश की स्वतंत्रता के बाद से हुए सभी कुंभ धर्मपरायण अधेड़ और वृद्ध श्रद्धालुओं के समागम का केंद्र रहे हैं। कुंभ में अपनी जिम्मेदारियों को निभा चुके लोग ही स्नान करने के लिए जाते थे।

    डिजिटल महाकुंभ रहा सफल

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के डिजिटल महाकुंभ को युवाओं ने हाथोंहाथ लिया। एआई आधारित कुंभ सहायक ऐप और गूगल नेविगेशन से युवाओं को जोडऩे में सफलता मिली। तकनीक और संस्कृति के संगम में युवाओं ने श्रद्धा की डुबकी लगाने के कई रिकार्ड बनाए। कुंभ ने बता दिया कि युवा पारंपरिक धर्म और आधुनिक राष्ट्रवाद के बीच संतुलन बनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। लाखों-करोड़ों की संख्या में डॉक्टर, इंजीनियर, चार्टर्ड अकाउंटेंट, प्रबंधक, टीचर, प्रोफेसर, वैज्ञानि, सर्विस सेक्टर उद्यमी और कॉलेज की छात्र-छात्राएं शामिल रहे।

    युवाओं ने साझा कीं तस्वीरें व वीडियो

    महाकुंभ की सफलता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 33 करोड़ से ज्यादा युवाओं ने फोटो और वीडियो गर्व के साथ सोशल मीडिया पर साझा किया। महाकुंभ आकर उन्होंने देखा कि डिजिटल क्रांति केवल कागजों पर नहीं बल्कि हकीकत बन चुकी है।चैटबॉट, क्यूआर कोड आधारित जानकारियां, शौचालयों की साफ-सफाई के लिए सीआर कोड आधारित व्यवस्था, गूगल मैप पर महाकुंभ नगरी और उसकी जानकारियां, इंटरनेट के बेहतरीन सिग्नल, ऑनलाइन बुकिंग्स, फ्लाइट कनेक्टिविटी, रेल और रोड नेटवर्क ने युवाओं को इस अद्भुत महाकुंभ से जोड़ दिया।

    संगम की मिट्टी और जल दुनियाभर में पहुंचा

    महाकुंभ में चल रहे रामकथा, भागवत कथा और प्रवचनों में युवाओं की भीड़ उमड़ी। सत्संग और कीर्तन में करोड़ों युवा शामिल हुए। इससे यह प्रतीत हो रहा है कि आधुनिक पीढ़ी जड़ों की ओर लौट रही है। यही युवा महाकुंभ से लौटते हुए दुनिया भर में संगम की मिट्टी और संगम का जल अपने साथ ले गए।

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