उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने महाकुंभ का सफल आयोजन कर कई बड़े रिकॉर्ड बनाए हैं। इस दौरान सिर्फ प्रयागराज ही नहीं बल्कि अयोध्या और वाराणसी में भी जमकर श्रद्धालु आए और राज्य की अर्थव्यवस्था का खासी गति मिली। महाकुंभ ने राज्य जीएसटी के खजाने को भरने में कोई असर नहीं छोड़ी। जनवरी और फरवरी में 375.99 करोड़ का टैक्स जमा हुआ है। महाकुंभ की वजह से प्रदेश के दूसरे जिलों में पंजीकरण होने के चलते वहां भी टैक्स कलेक्शन में बढ़ोत्तरी हुई है। 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हुआ था। 31 जनवरी बीतने के बाद एसजीएसटी के अधिकारियों ने मिले टैक्स की गणना की तो पता चला कि 184.88 करोड़ रुपये का कर मिला है। जनवरी 2024 में 178.07 करोड़ का टैक्स जमा हुआ था। फरवरी में मेला समाप्त होने के बाद मिले टैक्स को देखा गया तो 181.11 करोड़ का कर जमा हुआ था। पिछले वर्ष फरवरी में 157.67 करोड़ का टैक्स जमा हुआ था। यानी इस बार 14.87 प्रतिशत अधिक टैक्स जमा हुआ। यह सिर्फ टैक्स जमा होने तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि पिछले सात वर्ष का रिकार्ड भी टूट गया।
आसपास के जिले भी मालामाल
जनवरी व फरवरी में कभी इतना कर राज्य जीएसटी को नहीं मिला था। सिर्फ प्रयागराज में ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों में भी टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी हुई है। अयोध्या में 15.34, वाराणसी में 14.59, आगरा 14.61, अलीगढ़ 12.33, बरेली 23.60, गौतमबुद्ध नगर 20.83 और लखनऊ प्रथम 12.79 प्रतिशत की टैक्स बढ़ोत्तरी हुई है। दरअसल श्रद्धालुओं ने वाहनों में डीजल-पेट्रोल भरवाएं और होटलों में रुके। रेस्टोरेंटों में चाय-नाश्ता व खाना खाया। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हेलीकाप्टर सेवा का उपयोग किया। श्रद्धालुओं ने खरीददारी की। कई ऐसे कारण रहे, जिससे प्रयागराज के साथ ही आसपास के जनपदों में भी टैक्स कलेक्शन बढ़ा। महाकुंभ शुरू होने से पहले यहां 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने का प्रशासन का अनुमान था, लेकिन प्रशासनिक अनुमान पीछे रह गए और 45 दिन चले इस महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने पावन त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाई।