उप्र के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का आयोजन किया जाना है। इसके लिए उप्र की योगी सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है। इस बीच यह मामला अब अदालत की दहलीज पर भी पहुंच गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में महाकुंभ में श्रद्धालुओं और संतों के लिए गंगा में स्वच्छ और पर्याप्त जल उपलब्ध कराने की मांग को लेकर जनहित याचिका दाखिल हुई है। हाईकोर्ट ने इस पर राज्य सरकार व जिला प्रशासन से 10 सितंबर तक जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि गंगा में स्वच्छ व पर्याप्त जल कैसे उपलब्ध कराया जाएगा, इसकी कार्ययोजना बनाकर पेश करें? यह जनहित याचिका एडवोकेट सुनीता शर्मा, वरिष्ठ समाजसेवी योगेंद्र कुमार पांडेय और पूर्व पार्षद कमलेश सिंह ने दाखिल की थी। याचिका में कहा गया कि शासन व जिला प्रशासन ने स्वच्छ व पर्याप्त गंगाजल उपलब्ध कराने की दिशा में अब तक कोई विचार नहीं किया है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति विकास की खंडपीठ ने इस पर सरकार से जवाब तलब किया।
इस मुद्दे पर सरकार ने नहीं किया गौर
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रयागराज महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु, गंगा भक्त और संत आएंगे। सरकार की तरफ से काफी बजट स्वीकृत किया गया है, लेकिन अब तक कोई भी निर्णय नहीं लिया गया कि महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं, संतों एवं गंगा भक्तों को कैसे पर्याप्त व स्वच्छ गंगा जल उपलब्ध कराया जाएगा। महाकुंभ में स्नान व पूजन के लिए पर्याप्त व स्वच्छ गंगाजल तभी संभव हो सकेगा, जब जनहित याचिका में उठाए बिंदुओं का अनुपालन कराया जाए। याचिका में कानपुर की टेनरी का पानी रोकने, स्नान पर्व पर गंगा में लगातार प्रतिदिन 4000 क्यूसेक पानी छोडऩे और गंगा-यमुना में गिरने वाले गंदे नाले बंद करने, गंगा किनारे उच्चतम बाढ़ बिंदु से 500 मीटर निर्माण पर रोक के साथ एसटीपी के सुचारू संचालन के आदेश का पूर्णत: पालन की बात है। याचिका में प्रमुख सचिव, प्रयागराज के कमिश्नर और डीएम, कुंभ मेला प्राधिकरण, प्रयागराज विकास प्राधिकरण और नगर निगम को पक्षकार बनाया गया है।