सफलता अपने रास्तो की तलाश खुद कर ही लेते है। इस बात को हकीकत में तब्दील कर दिखाया है नालंदा जिले के पावापुरी में रहने वाले सोनू कुमार ने जो दिव्यांग हैं, चल फिर नहीं सकते फिर भी उन्होंने मेहनत करके बीपीएससी द्वारा आयोजित शिक्षक भर्ती प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता हासिल कर ली है। अब वे गणित के एक शिक्षक बन चुके हैं.
पैरो से दिव्यांग,लेकिन हौसले नहीं कमजोर
पैरों से दिव्यांग होने पर सोनू को कई परेशानियां उठानी पड़ती हैं. वे खुद चलकर कहीं जा नहीं सकते, दौड़-भाग नहीं कर सकते हैं लेकिन फिर भी उन्होंने अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाया. रिजल्ट आने के बाद वह दोस्तों के कंधे पर बैठकर अपना ज्वॉनिंग लेटर लेने पहुंचे थे. ज्वॉइनिंग लेटर मिलने पर सोनू की खुशी की ठिकाना नहीं था. सिर्फ वही नहीं, आज उनकी इस उपलब्धि पर सोनू के माता-पिता और दोस्त काफी खुश हैं. सोनू ने अपनी दिव्यांगता को नौकरी का आधार नहीं बनाया और सामान्य श्रेणी से शिक्षक बनकर मिसाल कायम कर दी.
दिव्यांगों का करो सहयोग
सोनू के पिता ने कहा कि दिव्यांगता से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन उससे ज्यादा मानसिक दिव्यांग लोगों से असर पड़ता है. उनका कहना है कि अगर कोई दिव्यांग है तो मजाक बनाने के बजाए उसका सहयोग कीजिए, एक दिन जरूर वो कामयाब होंगे आज मेरा बेटा सोनू इसका उदाहरण है.सोनू ने कहा कि आज में काफी खुश हूं. इससे पहले भी मुझे नौकरी मिली थी लेकिन दूर होने के कारण में जवाँइन नहीं कर पाया था. यह अपने राज्य में है इससे काफी खुश हूं.