विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) को लेकर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “खून और पानी एक साथ नहीं बहेगा” और भारत ने इसी सिद्धांत के तहत सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर राजनयिक और अन्य सख्त कदम उठाए हैं।
पहलगाम हमले के बाद लिया गया कठोर निर्णय
राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री ने कहा कि सिंधु जल संधि एक अद्वितीय समझौता है, जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को बिना अधिकार के दूसरे देश में बहने दिया। उन्होंने कहा, “जब पाकिस्तान से न दोस्ती थी, न गुडविल, तो ऐसा सिंधु समझौता हुआ क्यों? कहा गया कि ये शांति की कीमत थी। यह तुष्टिकरण की कीमत थी।”
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत ने आतंकवाद का बहुत कुछ झेला है और यह अब स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, “सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना पूरी तरह से बंद नहीं कर देता।” यह कदम पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया है, जिसमें 26 भारतीय नागरिकों की जान चली गई थी।
दुनिया ने किया भारत का समर्थन
विदेश मंत्री ने सदन को बताया कि भारत ने इस मामले में पाकिस्तान को दुनिया के सामने बेनकाब किया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भारत के इस रुख का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, “दुनिया ने देखा कि भारत ने किस तरह जवाब दिया। हमने पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए और सिंधु जल समझौते को स्थगित किया।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोदी सरकार ने इस संधि को रोका है।
जयशंकर ने विपक्षी सदस्यों पर भी निशाना साधा और कहा कि कुछ लोग इतिहास से असहज हैं और वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। उन्होंने कहा, “शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं।”
इस बयान के साथ, भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है कि आतंकवाद और द्विपक्षीय संबंधों के बीच कोई सामंजस्य नहीं हो सकता। सिंधु जल संधि का निलंबन पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जिससे उसे जल, खाद्य और ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ सकता है।