आईआईटी बाबा यानी अभय सिंह की कहानी किसी फिल्म की तरह है। वह प्रयागराज के महाकुंभ में छाए हुए हैं और लोग उन्हें आईआईटी वाले बाबा के नाम से जानते हैं। सब उनके जीवन के बारे में जानना चाहते हैं लेकिन अभय की कहानी बिल्कुल फिल्मी है। दरअसल अभय न सिर्फ होनहार रहे बल्कि पढ़ाई में भी तेज रहे। लेकिन घरेलू वातावरण ने उन्हें दुनियादारी छोडऩे को मजबूर कर दिया। इसके अलावा वह अपने माता-पिता के इकलौती पुत्र हैं। बड़ी बहन से उनका खास स्नेह है। हालांकि कुछ ऐसी स्थिति बनीं कि अभय सिंह को घर छोडक़र संन्यासी का जीवन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ा।
पिता ने बताई दुख भरी दास्तां
अभय के पिता करण सिंह ग्रेवाल झज्जर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष हैं। उन्होंने अभय के बारे में कई खुलासे किए। करण सिंह ने बताया कि अभय बचपन में घर में हो रही घरेलू हिंसा और घरेलू कलह से बेहद परेशान था। वह बेहद संवेदनशील था और उसका मानना था कि उसके पिता बेहद कठोर हैं। कई बार घर में उनकी पत्नी से मतभेद और झगड़े के कारण वह सहमा हुआ रहता था। अभय का जन्म 3 मार्च 1990 को हरियाणा के झज्जर के ससरोली गांव में हुआ था।
बहन की शादी के बाद अकेले पड़े
उसकी एक बड़ी बहन थी जिससे उसका गहरा रिश्ता था। शादी के बाद वह कनाडा चली गई और फिर अमेरिका में रहने लगी। इस बीच अभय घर में अकेला पड़ गया। अभय ने 12वीं कक्षा तक झज्जर में ही पढ़ाई की। इसके बाद आईआईटी दिल्ली में प्रवेश की तैयारी शुरू कर दी। 2008 में आईआईटी मुंबई में प्रवेश प्राप्त कर लिया। तब वह 18 साल था। 2014 में बीटेक पूरा करने के बाद अभय ने वहीं से एमटेक किया। इसके बाद स्थिति कुछ ऐसी बनी कि अभय ने इस दुनियादारी को छोडऩे का फैसला ले लिया। हालांकि पिता करण सिंह और मां शीला देवी जो खुद वकील हैं, उन्होंने उम्मीद जताई है कि एक दिन उनका इकलौता बेटा जरूर घर वापस आएगा और हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करेगा। अभय ने भी एक इंटरव्यू में कहा है कि अगर उन्हें यह रास्ता सही नहीं लगा तो वह उसे भी छोड़ देंगे। इससे माता-पिता की उम्मीद बंधी है कि वह एक न एक दिन घर जरूर लौटेगा।