मनोज मीना राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ के गंगरार के निवासी हैं। 2013 वे बीटेक सेकंड ईयर की पढ़ाई कर रहे थे। तभी उनके पास पांचवीं कक्षा के 3 बच्चे पढऩे के लिए और जवाहर नवोदय विद्यालय की प्रवेश परीक्षा के लिए उनसे पढ़ाने की गुहार लगाई। मनोज ने उन्हें फ्री में पढ़ाया और बच्चों ने प्रवेश परीक्षा दी और इनमें से एक का सेलेक्शन हो गया। मनोज की बीटेक की पढ़ाई पूरी हो गई और वह यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गये। इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि वे फिर वापस लौटे और हजारों बच्चों के तारणहार बन गए।
समय नहीं था, फिर एक चिट्ठी आई
मनोज मीना ने बताया कि 2014 में वे यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए थे। अपनी पढ़ाई में बच्चों को पढ़ाने का समय था नहीं, इसलिए फ्री कोचिंग को बंद कर दिया। इसी बीच उन्हें एक छोटी बच्ची की चिट्ठी मिली जिसमें लिखा था कि भैया मैंने सुना है कि आप बच्चों को पढ़ाने का अपना वादा कभी नहीं तोड़ते, लेकिन आपने मेरे साथ किया वादा तोड़ दिया जो ठीक नहीं है। बस फिर क्या मनोज वापस अपने गांव लौट गए। वे हर दो महीने में गंगरार आकर बच्चों को पढ़ाने लगे। इस बैच के भी 3 बच्चों का नवोदय विद्यालय में चयन हो गया। इस बीच मनोज बच्चों को फ्री में पढ़ाते तो कुछ निजी स्कूलों और कोचिंग संस्थानों का धंधा प्रभावित होने लगा तो उन्होंने उनपर दबाव बनाना शुरू कर दिया, लेकिन मनोज दबाव में झुके नहीं और अपना मिशन जारी रखा।
मिशन एम-2 यानी मोरल माइंड
उन्होंने अपने इस मिशन का नाम एम-2 यानी मोरल माइंड नाम दिया। एम-2 के प्रयास से आज राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ में हजारों बच्चों के लिए कोचिंग की फ्री कक्षाएं चल रही हैं। कक्षाएं भी ऐसी, जहां न पढऩे की कोई फीस है और न ही पढ़ाने के लिए अध्यापकों को कोई सैलरी। इस बीच कहा जाने लगा कि वह बच्चों को बहका रहे हैं। बाद में फीस लेने लगेंगे। यहां तक कहा गया कि बीटेक किया लडक़ा बच्चों को कैसे पढ़ा पाएगा। मनोज पर कुछ एफआईआर भी दर्ज की गईं। इस बीच मनोज ने तय कर लिया कि अब वे अपने कदम पीछे नहीं हटाएंगे। 27 दिसंबर 2015 को गंगरार थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई। आरोप लगा कि वे अपने पिछड़े वर्ग का नाजायज फायदा उठा रहे हैं। टीम को धमकियां मिलने लगीं और जिस स्कूल में कक्षाएं चलती थीं, उसने भी जगह देने से मना कर दिया। हालांकि मनोज ने हार नहीं मानी और उनकी कक्षाएं किसी ना किसी तरीके से चलाते रहे। अगले कुछ वर्षों में एम-2 प्रयास के ज्यादा से ज्यादा छात्र नवोदय विद्यालय में सेलेक्ट होने लगे। 2017 में बच्चों का सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा में भी सेलेक्शन होने लगा। इन सबके बावजूद 30 बच्चों का नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल में सेलेक्शन हुआ।
हर बाधाओं को किया पार
कोरोना काल में जरूर कुछ बाधाएं आईं तो उन्होंने 3 जून 2020 को एक नई योजना के साथ एम-2 प्रयास फिर से मैदान में उतरा। तब उन्होंने लगभग 100 कक्षाओं के माध्यम से बच्चों के एक बड़े समूह को पढ़ाया गया। अब वे नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल, विशेष मैट्रिक छात्रवृत्ति परीक्षा, कक्षा 3 से 12वीं, बीएसटीसी, सीईटी, रीट, एसएससी जीडी, आरपीएफ, अग्निवीर जैसी अन्य परीक्षाओं की फ्री तैयारी करा रहे हैं। उनके पास 100 से ज्यादा टीचर हैं और सभी के पढ़ाने का शेड्यूल पहले से तय कर दिया जाता है।
इतने बच्चे हो चुके हैं सिलेक्ट
मनोज मीना ने बताया कि एम-2 प्रयास के तहत अभी तक 347 बच्चे नवोदय में सेलेक्ट हो चुके हैं। सैनिक स्कूल में 152 बच्चों का सेलेक्शन हो चुका है। पहली बार में दो, दूसरी बार में 6 और इसके बाद 10 छात्रों का अग्निवीर में सेलेक्शन हुआ। बीएसटीसी के पहले साल में 74, दूसरे साल में 70 और इस साल 100 से ज्यादा छात्रों का सेलेक्शन हो चुका है।