भारत में डिजिटल लोन ऐप्स का चलन तेजी से बढ़ा है, लेकिन इसके साथ ही अवैध और धोखाधड़ी वाले ऐप्स की संख्या भी चिंता का विषय बन गई है। इन ऐप्स के माध्यम से लोगों को ऊंचे ब्याज दरों पर कर्ज दिया जाता है और वसूली के लिए उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें कुछ मामलों में आत्महत्या तक की खबरें आई हैं। इन गंभीर चिंताओं को देखते हुए, सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अब इन लोन ऐप्स पर शिकंजा कसने की तैयारी में हैं, जिसका सीधा फायदा आम आदमी को मिलेगा। ये कदम निश्चित रूप से डिजिटल लोन मार्केट को अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाएंगे, जिससे आम आदमी को वित्तीय सेवाओं का लाभ उठाने में आसानी होगी और वे धोखेबाजों से सुरक्षित रहेंगे।
क्या हैं सरकार और RBI के नए कदम?
- सख्त दिशानिर्देश: RBI ने “डिजिटल लेंडिंग दिशानिर्देश, 2025” (Digital Lending Directions, 2025) जारी किए हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य डिजिटल लोन सिस्टम को पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है।
- अनिवार्य पंजीकरण: 13 मई, 2025 से सभी RBI द्वारा विनियमित बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए अपने सभी डिजिटल लेंडिंग ऐप्स को एक नए सरकारी पोर्टल – Centralised Information Management System (CIMS) पर रजिस्टर करना अनिवार्य कर दिया गया है। 1 जुलाई, 2025 से एक सार्वजनिक डायरेक्टरी भी जारी की जाएगी, जिससे उधारकर्ता किसी भी ऐप की वैधता की जांच कर सकेंगे।
- नकली ऐप्स पर लगाम: गूगल ने सितंबर 2022 और अगस्त 2023 के बीच अपने प्ले-स्टोर से लगभग 2,200 फर्जी लोन ऐप्स हटाए हैं। सरकार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को भी अवैध लोन ऐप्स के विज्ञापनों को प्रतिबंधित करने और हटाने के निर्देश दे रही है।
- कड़ी निगरानी और दंड: यदि कोई बिना RBI की मंजूरी के अनधिकृत लोन देता है, तो उसे 7 साल तक की जेल और ₹2 लाख से ₹1 करोड़ तक का जुर्माना हो सकता है। लोन वसूली के लिए बलपूर्वक तरीकों का उपयोग करने वाले कर्जदाताओं के लिए 3 से 10 साल तक की जेल और बढ़े हुए जुर्माने का भी प्रावधान है।
- डेटा सुरक्षा: RBI ने गूगल और एप्पल को डिजिटल लोन देने वाले ऐप्स को ग्राहक की निजी जानकारी साझा करने से रोकने के लिए भी कहा है, और केवल वही डेटा एकत्र करने की अनुमति दी है जिनकी वास्तव में आवश्यकता है।
आम आदमी को क्या होगा फायदा?
सरकार के इन सख्त कदमों से आम आदमी को कई सीधे फायदे होंगे:
- धोखाधड़ी से बचाव: फर्जी और अवैध लोन ऐप्स पर लगाम लगने से आम लोग इनके जाल में फंसने से बचेंगे।
- पारदर्शिता: रजिस्टर्ड ऐप्स की सार्वजनिक सूची उपलब्ध होने से उपभोक्ता आसानी से वैध और विश्वसनीय ऐप्स की पहचान कर पाएंगे।
- उत्पीड़न से मुक्ति: अवैध वसूली और उत्पीड़न के मामलों में कमी आएगी, जिससे मानसिक और वित्तीय दबाव से राहत मिलेगी।
- डेटा सुरक्षा: व्यक्तिगत जानकारी के दुरुपयोग पर रोक लगेगी, जिससे उपभोक्ताओं की निजता सुरक्षित रहेगी।
- शिकायत निवारण: अब शिकायत निवारण के लिए एक स्पष्ट तंत्र उपलब्ध होगा, जिससे उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान तेजी से हो सकेगा।