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    औरंगजेब के बाद तुगलक का नाम.. ऐसे गर्मा गई देश की सियासत

    मुगल शासक औरंगजेब और तुगलक का नाम इतिहास के दस्तावेजों में है। लेकिन अब भी उनके नाम पर जमकर सियासत हो रही है। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आजमी को विधानसभा से इसलिए सस्पेंड कर दिया गया क्योंकि उन्होंने औरंगजेब की तारीफ की थी। अबू आजमी के खिलाफ दो एफआईआर भी दर्ज हो गई हैं। आजमी ने कहा था कि औरंगजेब निर्दयी शासक नहीं था। बयान के तूल पकडऩे पर उन्होंने अपने बयान के पीछे इतिहासकारों का हवाला देते हुए माफी मांगी थी। अब कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि औरंगजेब 49 साल तक भारत का शासक रहा। उसके शासन में जीडीपी बहुत अधिक थी। अखंड भारत औरंगजेब की वजह से ही ही संभव हुआ। अब भाजपा के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने अपने आवास की नेमप्लेट में तुगलक लेन को विवेकानंद मार्ग लिख दिया है। ऐसे में इस पर भी राजनीति गर्म हो गई है।

    यह बोले सांसद दिनेश शर्मा

    भाजपा के राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि यह सामान्य प्रक्रिया है कि जब कोई किसी घर में जाता है तो नाम पट्टिका लगा दी जाती है। मैं वहां नहीं गया था, मैंने नहीं देखा था। जब मुझसे उससे संबंधित लोगों ने पूछा कि किस तरह की नाम पट्टिका होनी चाहिए तो मैंने कहा कि आसपास के हिसाब से होनी चाहिए। आसपास के घरों पर विवेकानंद मार्ग लिखा था और नीचे तुगलक लेन लिखा था, दोनों एक साथ लिखे थे। नेमप्लेट पर आज भी तुगलक लेन लिखा है और सुविधा के लिए विवेकानंद मार्ग लिख दिया है। उन्होंने बताया कि मैंने कर्मचारियों से पूछा तो उन्होंने कहा कि गूगल पर वह स्थान विवेकानंद रोड आता है। ऐसा इसलिए लिखा है ताकि लोगों को विवेकानंद रोड और तुगलक लेन में भ्रम न हो। मैं जानता हूं कि सांसद को सडक़ का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। ये राज्य सरकार और नगर निकाय का काम है। इसके लिए एक निर्धारित प्रक्रिया होती है। मुझे इसे बदलने का न अधिकार था, न है, न मैंने किया है। सामान्य प्रक्रिया में पेंटर ने वही नाम लिखा होगा जो आस-पास के घरों पर लिखा था, इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने कोई स्थान का नाम बदला है।

    देश के लोगों की स्वामी विवेकानंद में आस्था है : गुर्जर

    केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद इस देश के युवाओं के लिए एक आदर्श हैं। देश के लोगों की उनके नाम के साथ भावनाएं जुड़ी हुई हैं। हमें ऐसे महापुरुष के नाम पर आस्था है, हमें स्वामी विवेकानंद और उनके आदर्शों में आस्था है। इसीलिए हमने वो नाम लिखवाया है। ये आधिकारिक तौर पर नहीं किया गया है लेकिन देश के लोगों की स्वामी विवेकानंद में आस्था है, हम उन्हें आदर्श मानते हैं। उन्होंने कहा कि ये देश कानून, नियम और प्रक्रियाओं का पालन करने वाला देश है। ये हमारी आस्था है, इसलिए हमने यह लिखा और इसके साथ ही हमने आधिकारिक नाम भी लिखवाया है। ये राजनीति नहीं है, बल्कि ये हमारी आस्था है।

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