अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने नेशनल हेल्थ मिशन के हब एंड स्पोक मॉडल के तहत कैंसर मरीजों के लिए उपचार को सुलभ बनाने की पहल की है। अब मरीजों को अपने घर के पास ही उपचार की सुविधा मिलेगी, जिससे समय और धन की बचत हो रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बीते आठ वर्षों में कैंसर मरीजों की संख्या में पांच गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2016 में एम्स में कैंसर विभाग की शुरुआत के समय रोज़ाना करीब 40 मरीज ओपीडी में आते थे, लेकिन अब यह संख्या 200 को पार कर चुकी है।