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    विदेशी मेहमानों को पसंद आई ई-बाल तकनीक.. सीएम विष्णु देव साय ने भी सराहा

    छत्तीसगढ़ में अब नई-नई तकनीकों का प्रयोग हो रहा है। राज्य के धमतरी में जल-जगार महोत्सव के दौरान आयोजित अंतरास्ट्रीय जल सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में बने जल शुद्धिकरण की जैविक तकनीक ई-बाल को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सराहा। उन्होंने जल शुद्धिकरण की इस अभिनव तकनीक को आज की आवश्यकता बताया। अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आए विदेशी जल विशेषज्ञों को भी यह तकनीक खूब पसंद आई। उन्होंने इस तकनीक को बारीकी से समझा और इस पर काम करने में दिलचस्पी दिखाई। जल जगार महोत्सव में पानी शुद्धिकरण की तकनीक का जीवंत प्रदर्शन महोत्सव स्थल पर किया गया था। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय एवं अतिथियों ने भी इस तकनीक को समझा और सराहा।

    यह है ई-बाल तकनीक

    • ई-बाल बैक्टीरिया और फंगस का मिश्रण है जिसे लाभदायक सूक्ष्मजीवों के द्वारा कैलिशयम कार्बोनेट के कैरियर के माध्यम से जैव-प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ प्रशान्त कुमार शर्मा द्वारा 13 वर्षों के अनुसंधान के बाद बनाया गया है।
    • ई-बाल 4.0 से 9.5 पीएच और 10 से 45 डिग्री सेल्शियस तापमान पर सक्रिय होकर काम करता है। ई-बाल में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के प्रदूषित पानी में जाते ही वहां उपलब्ध ऑर्गेनिक अवशिष्ट से पोषण लेना चालू कर अपनी संख्या में तेजी से वृद्धि करते हैं तथा पानी को साफ करने लगते हैं।
    • एक ई-बाल करीब 100 से 150 मीटर लंबी नाली को साफ कर देती है। एक एकड़ तालाब के जल सुधार के लिए 800 ई-बाल की आवश्यकता होती है। ई-बाल के प्रयोग से पानी मे रह रहे जलीय जीवों पर इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। इसके प्रयोग से पानी के पीएच मान, टीडीएस और बीओडी स्तर में तेजी से सुधार होता है।
    • छत्तीसगढ़ समेत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, झारखंड, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के कई तालाबों में इसका सफल प्रयोग चल रहा है।
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