उप्र के बरेली के थाना सीबीगंज में एक एफआईआर दर्ज़ की गई है जिसमें एक व्यक्ति द्वारा कब्रिस्तान की भूमि पर अवैध कब्ज़ा किया गया। ज़मीन को वक्फ कब्रिस्तान बताते हुए अपने परिवारजनों को ट्रस्ट का सदस्य बनाकर स्वयं प्रबंधन समिति का अध्यक्ष बन गया। मामले में 11 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज़ की गई है। यह अवैध रूप से वक्फ संपत्ति के रूप में कब्जे के बाद दर्ज पहली एफआईआर है। आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज़ों और कोर्ट में विचाराधीन मामले की जानकारी छिपाकर जमीन को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, लखनऊ में वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज कराया और खुद को उसका अध्यक्ष और सदस्य बना लिया।
झाड़-फूंक करा रहे, फर्जी दस्तावेज़ों से वक्फ में दर्ज की गई ज़मीन
पुलिस के अनुसार, सब्जे अली ने सुनियोजित षड्यंत्र के तहत एक अज्ञात व्यक्ति सैय्यद हामिद हसन को फकीर के रूप में वहां बैठाकर झाड़-फूंक का कार्य शुरू कराया। सैय्यद हामिद हसन की मृत्यु के बाद सब्जे अली ने उन्हें उसी सरकारी कब्रिस्तान में दफनाकर वहां पक्की कब्र बनवाई और उसे मजार का रूप दे दिया। सब्जे अली ने उस ज़मीन पर सैय्यद हामिद हसन दरगाह चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम से ट्रस्ट बनवाया और उपनिबंधक कार्यालय, सदर द्वितीय में उसका पंजीकरण करा लिया। ट्रस्ट में सब्जे अली ने स्वयं को ट्रस्टी बनाया और अपनी पत्नी जकीरा, बेटियां फरहानाज, गुलनाज, शना जाफरी, राहीला जाफरी और षड्यंत्र के मुख्य आरोपी मनीष कुमार को ट्रस्ट का हिस्सा बना लिया।
अदालत में भी कब्जा अवैध करार
सब्जे अली ने कोर्ट में वाद दायर किया, जिसमें अदालत ने कब्जे को अवैध माना। उन्होंने मामले के विचाराधीन होने की जानकारी छिपाई और जाली दस्तावेज़ों के आधार पर ज़मीन को वक्फ संपत्ति संख्या 2214 के अंतर्गत दर्ज करा लिया। वक्फ बोर्ड की प्रबंधन समिति में खुद को अध्यक्ष, गांव के आसिफ अली को कोषाध्यक्ष, अहमद अली को सचिव, और अन्य सहयोगियों मकसूद व जैब को सदस्य नामित करा लिया।