प्रेम विवाह का सपना हर प्रेमी-प्रेमिका देखता है, लेकिन क्या आपकी कुंडली में प्रेम विवाह के योग हैं? वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को प्रेम, सुंदरता और विवाह का कारक माना गया है। शुक्र का प्रभाव आपकी कुंडली में यह तय करता है कि आपकी शादी अरेंज होगी या प्रेम विवाह के जरिए। आइए जानते हैं कि शुक्र ग्रह आपकी लव लाइफ और शादी पर कैसा प्रभाव डालता है।
शुक्र ग्रह का महत्व
शुक्र ग्रह को भौतिक सुख, सौंदर्य, कला, प्रेम और वैवाहिक जीवन का कारक माना गया है। यदि कुंडली में शुक्र मजबूत स्थिति में हो, तो व्यक्ति आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक होता है और उसे प्रेम संबंधों में सफलता मिलती है। शुक्र की स्थिति यह भी निर्धारित करती है कि व्यक्ति को प्रेम विवाह का अवसर मिलेगा या नहीं।
किन योगों से बनते हैं प्रेम विवाह के संकेत?
प्रेम विवाह के योग बनने के लिए कुंडली में कुछ विशेष स्थितियां होनी चाहिए। इनमें से प्रमुख हैं:
शुक्र और चंद्रमा का संबंध
अगर कुंडली में शुक्र और चंद्रमा एक साथ या एक-दूसरे को दृष्टि कर रहे हों, तो व्यक्ति का झुकाव प्रेम संबंधों की ओर अधिक होता है। ऐसे लोग भावुक होते हैं और प्रेम विवाह की संभावना अधिक रहती है।
पंचम भाव का शुक्र
पंचम भाव को प्रेम और रोमांस का घर माना जाता है। यदि इस भाव में शुक्र बैठा हो या इसका संबंध सप्तम भाव (विवाह का घर) से हो, तो व्यक्ति का प्रेम विवाह होने की संभावना बढ़ जाती है।
सप्तम भाव में शुक्र की स्थिति
सप्तम भाव विवाह का मुख्य कारक है। यदि यहां शुक्र या मंगल जैसे ग्रह हों, तो प्रेम विवाह के योग बनते हैं। मंगल और शुक्र का संयोजन व्यक्ति को भावुक और साहसी बनाता है, जो समाज की परवाह किए बिना प्रेम विवाह कर सकता है।
राहु और शुक्र का संयोजन
राहु और शुक्र का योग अक्सर जातक को समाज की परंपराओं से हटकर निर्णय लेने की प्रेरणा देता है। ऐसे व्यक्ति समाज के रीति-रिवाजों की परवाह नहीं करते और प्रेम विवाह की ओर झुकाव रखते हैं।