अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की आर्थिक नीतियों पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। हाल ही में जारी आर्थिक आंकड़ों ने उनके “अमेरिका फर्स्ट” के खोखले नारों की पोल खोल दी है। रोजगार के मोर्चे पर स्थिति निराशाजनक है। श्रम विभाग के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अमेरिकी नियोक्ताओं ने पिछले महीने सिर्फ 73,000 नौकरियां जोड़ीं, जबकि मई और जून में 2,58,000 नौकरियां खत्म हो गईं। नतीजतन, बेरोजगारी दर बढ़कर 4.2% हो गई है, जो महामारी के बाद 2012 के बाद से सबसे ज्यादा है।
ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ का असर अब अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर साफ दिखाई दे रहा है। इन टैरिफ के कारण कारखानों और सरकार में नौकरियों में कटौती हुई है। जुलाई में कारखानों में 11,000 नौकरियां कम हुईं। इसके साथ ही, संघीय सरकार में 12,000 और प्रशासन एवं सहायक विभागों में लगभग 20,000 नौकरियां कम हो गईं।
आर्थिक विकास के मामले में भी स्थिति चिंताजनक है। ट्रंप ने अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर विकास के बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन वास्तविकता कुछ और है। हाल ही में जारी आंकड़ों से पता चला है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो गई है। ट्रंप की नीतियां, खासकर उनके टैरिफ युद्ध, ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया है।
व्हाइट हाउस हालांकि इन निराशाजनक आंकड़ों को नजरअंदाज कर रहा है और यह दावा कर रहा है कि सब ठीक है। लेकिन, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो अमेरिका के लिए आने वाले समय में आर्थिक चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।