दिल्ली में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दौरे से पहले सरकार पर एक गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार विदेशी गणमान्य व्यक्तियों को भारत आने पर उनसे (नेता प्रतिपक्ष से) मुलाकात करने से हतोत्साहित कर रही है, जो कि देश की लोकतांत्रिक परंपरा के खिलाफ है।
परंपरा तोड़ने का आरोप
राहुल गांधी ने कहा, “जो भी बाहर से आते हैं, उनकी नेता प्रतिपक्ष के साथ बैठक होती है, यह परंपरा रही है। लेकिन आजकल यह होता है कि विदेशी गणमान्य व्यक्ति आते हैं या जब मैं कहीं बाहर जाता हूं तो सरकार उनको सुझाव देती है कि नेता प्रतिपक्ष से नहीं मिलना चाहिए, तो यह उनकी नीति है। ये हर बार ऐसा करते हैं।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि सिर्फ सरकार ही नहीं, हम (विपक्ष) भी हिंदुस्तान का प्रतिनिधित्व करते हैं। राहुल ने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती कि विपक्ष के लोग बाहर के लोगों से मिलें।
प्रियंका गांधी ने कहा- ‘सरकार बहुत असुरक्षित है’
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने राहुल गांधी के बयान का समर्थन करते हुए इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताया। “यह प्रोटोकॉल होता है कि कोई भी विदेशी गणमान्य व्यक्ति नेता प्रतिपक्ष से मिलते हैं लेकिन इस प्रोटोकॉल का उल्टा होता है। इस सरकार की सभी नीतियां इसी आधार पर हैं… वो किसी और आवाज को उठने नहीं देना चाहते हैं और किसी और का पक्ष नहीं सुनना चाहते। वो प्रोटोकॉल को तोड़ रहे हैं।”
प्रदूषण पर चर्चा से भागना
प्रियंका गांधी ने इसी संदर्भ में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर संसद में चर्चा न कराने को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा, “प्रदूषण पर चर्चा करने में क्या डर है? कर लीजिए, फिर कुछ तो हल निकलेगा। लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का मौका मिलना चाहिए और चर्चा होनी चाहिए, फिर कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार बहुत असुरक्षित है।
कुमारी शैलजा ने लोकतंत्र की परंपराओं पर चिंता जताई
कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने भी नेता प्रतिपक्ष के बयान पर अपनी चिंता व्यक्त की। “हमारी सरकार ने हमारी लोकतंत्र की परंपराओं को ताक पर रख दिया है। न लोकतंत्र में इनका विश्वास है न लोकतंत्र की परंपराओं में विश्वास है। हमारे लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी है और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे हैं लेकिन इस परंपरा को भाजपा सरकार ने कमजोर किया है और देश की प्रतिष्ठा के लिए ये अच्छा संकेत नहीं है।” विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार विपक्ष को कमजोर करने और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश के प्रतिनिधित्व को सीमित करने की कोशिश कर रही है।


