फरवरी 2012 यह आखिरी बार था जब भारत ने अपनी घरेलू सरजमीं पर टेस्ट सीरीज हार का सामना करना पड़ा था। इंग्लैंड की टीम ने भारत को 2-1 टेस्ट सीरीज में हराया था। फिर उसके बाद भारत के तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने तय किया कि हम अपने घरेलू सरजमीं पर इस तरह की टर्निंग पिचें बनाएंगे कि हम विरोधी टीमों को स्पिन के जाल में फंसाएंगे और ऐसा सिलसिला महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में शुरू हुआ, और पहला शिकार ऑस्ट्रेलिया की टीम बनी और 4-0 से ऑस्ट्रेलिया की टीम को हार का सामना करना पड़ा।
जो सिलसिला धोनी ने शुरू किया विराट ने उसको सफलतापूर्वक आगे बढ़ाया
2012 के बाद महेंद्र सिंह धोनी ने घरेलू सरजमीं पर ऑस्ट्रेलिया के बाद वेस्टइंडीज की टीम को 2-0 से हराया। उसके बाद महेंद्र सिंह धोनी ने साल 2014 में मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड पर आखिरी टेस्ट मैच खेला और कप्तानी विराट कोहली को मिल गई। उसके बाद विराट कोहली ने इस विरासत को आगे बढ़ाया जो महेंद्र सिंह धोनी ने घरेलू सरजमीं पर तो जमाकर छोड़ी थी लेकिन बाहर भारत नहीं जीत पाती थी और विराट कोहली ने अपनी कप्तानी में टीम को बाहर भी मैच जिताएं है।
जहां तक बात घरेलू सरजमीं पर टेस्ट जीत की थी तो भारत एक अबूझ पहेली विरोधी टीमों के लिए बनी हुई थी। टर्निंग ट्रैक पर विरोधी टीमें दो- दो तीन- तीन स्पिनर्स लेकर आती थी लेकिन भारतीय टीम को हरा नहीं पाती थी। वही हमारे स्पिन गेंदबाज रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन,अक्षर पटेल जयंत यादव कुलदीप यादव विरोधी टीमों के लिए कल बने हुए थे और भारत लगातार घर पर जीतते चला आ रहा था।
लगातार 18 सीरीज भारत जीत चुका था लेकिन भारत अब उस टीम के निशाने पर आ गया था जिस टीम के पास सुपरस्टार खिलाड़ी तो नहीं है लेकिन हर एक खिलाड़ी में वो काबिलियत है कि वो अपनी टीम के लिए मैच जीत सकता है और वही हुआ न्यूजीलैंड ने भारत की टीम को हरा दिया और 12 साल बाद वो किला जो अभेद बना हुआ था उसे टॉम लैथम की अगुवाई वाली युवा टीम ने भेद दिया।
रोहित शर्मा की लचर कप्तानी बनी हार का बड़ा कारण
भारतीय टीम के टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा की कप्तानी में कुछ ही महीने पहले जून माह में भारत ने t20 विश्व कप का खिताब जीता था। हर कोई अभी तक उसकी खुशियां मना रहा है। लेकिन हकीकत तो यह है कि बतौर टेस्ट कप्तान रोहित शर्मा अभी भी परिपक्व नहीं है। रोहित शर्मा आज भी टेस्ट कप्तानी करते वक्त उतने सहज नजर नहीं आते हैं उनके फैसले टेस्ट क्रिकेट के लायक लगते भी नहीं है।
अब सबसे पहले उस फैसले की बात करते हैं जहां से यह स्क्रिप्ट लिखी गई कि भारत इस सीरीज को गंवाने जा रहा है। रोहित शर्मा ने सबसे पहले तो बेंगलुरु टेस्ट मैच में ओवरकास्ट कंडीशन में टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी चुनी और भारत 46 रनों पर ऑल आउट हो गया। ये सबसे बड़ा गलत फैसला था जो टीम इंडिया को सीरीज हार की तरफ ले गया।
यह जानते हुए भी की बेंगलुरु में पिछले 5 दिनों से लगातार बारिश हो रही है परिस्थितियां तेज गेंदबाजी के अनुकूल हैं उसके बावजूद रोहित शर्मा ने बेंगलुरु में कुलदीप यादव को भी खिलाया, रविंद्र जडेजा भी खेले और रविचंद्रन अश्विन भी खेले। वहीं न्यूजीलैंड ने तीन तेज गेंदबाजों को खिलाने का फैसला किया और न्यूजीलैंड को इस फैसले का फायदा दिखा और भारत को न्यूजीलैंड ने महज 46 रनों पर समेट दिया और पहला टेस्ट मैच जीत लिया।
बतौर कप्तान और बतौर बल्लेबाज दोनों तरह से फ्लॉप रोहित शर्मा
भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा ने इस टेस्ट सीरीज में अब तक काफी खराब फैसले बतौर कप्तान किए हैं। लेकिन बतौर बल्लेबाज भी रोहित शर्मा इस सीरीज में फेल हुए हैं। एक कप्तान के तौर पर आप अपनी टीम को अपनी तरह से खिलाना चाहते हैं लेकिन इसका उदाहरण आपको खुद देना होता है। लेकिन रोहित शर्मा तो बल्लेबाजी में खुद रन नहीं बना पा रहे हैं तो टीम को उदाहरण कैसे देंगे यह समझ से परे है। रोहित शर्मा की पिछली 8 टेस्ट पारियों की बात की जाए तो 6 सिंगल डिजिट स्कोर में रोहित शर्मा आउट हो चुके हैं जो यह बताने के लिए काफी है कि अब रोहित शर्मा का टेस्ट करियर निचले स्तर पर चला गया है।