हरियाणा में चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस में खींचतान थमती नहीं दिख रही है। हरियाणा कांग्रेस विधानमंडल दल (सीएलपी) अध्यक्ष पद के लिए लॉबिंग तेज हो गई है। इस पद पर हुड्डा, सुरजेवाला और कुमारी शैलजा गुट की नजरें जमी हुई हैं। माना जा रहा है कि अशोक अरोड़ा, गीता भुक्कल और चंद्र मोहन बिश्नोई दावेदार हैं। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी चल रहा है। हाईकमान ही अंतिम निर्णय लेगा। माना जा रहा है कि कांग्रेस अब भविष्य को ध्यान में रखते हुए सीएलपी अध्यक्ष का चुनाव करेगी, ताकि गुटबाजी से कुद हद तक निजात मिल सके।
अंदरूनी समीकरण पर होगा विचार
विधानसभा सत्र से पहले सीएलपी अध्यक्ष के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा के अलावा अशोक अरोड़ा, गीता भुक्कल और चंद्र मोहन बिश्नोई के नाम सामने आ रहे हैं। अगर हुड्डा के अलावा किसी और को मौका मिलता है तो पार्टी के अंदरूनी समीकरण पर चर्चा होगी। हुड्डा गुट के 32 विधायकों ने दिल्ली में एक मीटिंग कर उनको समर्थन दिया है। अरोड़ा और भुक्कल भी इसी गुट से जुड़े हैं। चंद्र मोहन को पंचकूला सीट कुमारी सैलजा की वजह से मिली थी। हालांकि हुड्डा गुट ने पहले चंद्र मोहन का समर्थन किया था। माना जा रहा है कि वो भी हुड्डा के पक्ष में रह सकते हैं।
37 विधायकों से अलग-अलग की बात
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में पार्टी पर्यवेक्षकों ने सभी 37 विधायकों से अलग-अलग बातचीत की है। उनसे नेता प्रतिपक्ष के लिए उनकी पसंद जानने की कोशिश की गई। तय हुआ कि आखिरी फैसला हाईकमान लेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि हुड्डा मजबूत दावेदार हैं, लेकिन वो अकेले विकल्प नहीं हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को विधायकों के बीच महत्वपूर्ण समर्थन हासिल है, लेकिन प्रतिद्वंद्वी गुटों से चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। नेतृत्व विकल्पों और सत्ता संघर्षों के बारे में चल रही चर्चाओं से संकेत मिलता है कि हरियाणा कांग्रेस चुनावी उलटफेर के बाद अपने भविष्य की दिशा तय करेगी।