दिल्ली में व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग का 25वां सत्र आयोजित हुआ। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने रूस के प्रतिनिधिमंडल से कहा कि व्यापार में चुनौतियां रही हैं, खासकर भुगतान और लॉजिस्टिक्स के मामले में। इस संबंध में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी कुछ काम किया जाना बाकी है। कनेक्टिविटी के संबंध में हमारे संयुक्त प्रयास, जैसे कि अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारा और उत्तरी समुद्री मार्ग को आगे बढ़ाना चाहिए। हम अपने खाद्य, ऊर्जा और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सहयोग पर भी चर्चा करेंगे।
कच्चे तेल, कोयले और यूरेनियम की आपूर्ति महत्वपूर्ण
जयशंकर ने कहा कि रूस हमारे लिए उर्वरकों का एक प्रमुख स्रोत बनकर उभरा है। कच्चे तेल, कोयले और यूरेनियम की इसकी आपूर्ति वास्तव में महत्वपूर्ण है। इसी तरह भारत का फार्मास्युटिकल उद्योग रूस के लिए एक किफायती और विश्वसनीय स्रोत के रूप में उभरा है। मुझे विश्वास है कि हम 2030 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे।
अमेरिका के रुख पर सबकी नजरें
अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद जल्द ही ट्रंप सरकार काबिज होने वाली है। ऐसे रूस-यूक्रेन युद्ध पर सबकी नजर है। ट्रंप ने युद्ध समाप्ति का खाका खींचा है। लेकिन यूक्रेन का रुख अभी सकारात्मक नहीं है। ऐसे में रूस अब भी अपने रुख पर अड़ा हुआ है। अमेरिका ने रूस पर कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। हालांकि भारत ने इन्हें दरकिनार कर रूस से सहयोग बढ़ाया है। अब देखना होगा कि ट्रंप का रुख रूस और पुतिन के प्रति कैसा रहता है।