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    भगदड़, महाकुंभ और राजनीति.. पूरा आयोजन बन गया सियासी

    उत्तर प्रदेश की संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन चल रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिस तरह बढ़-चढक़र व्यवस्थाओं के दावे किए, पूरे संसाधन झोंके और इसे सफल बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इस पर विरोधियों के पेट में दर्द होना स्वाभाविक था। महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़े से लेकर व्यवस्थाओं तक को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने हाईलाइट किया। इसके बाद भी योगी सरकार लगातार बेहतर व्यवस्थाओं के दावे करती रही। यह भी कहा गया कि जो भी श्रद्धालु आ रहे हैं, वे सभी राज्य सरकार की व्यवस्थाओं को सराह रहे हैं, लेकिन मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ ने योगी सरकार की पोल खोल दी। दावा है कि इस घटना में 14 लोग मारे गए लेकिन सरकार या प्रशासन की ओर से सभी दावे नकारे जा रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ खुद ही व्यवस्थाएं देख रहे हैं और बेहतर करने का दावा कर रहे हैं।

    विपक्ष को बैठे-बिठाए मिल गया मुद्दा

    इस घटना के बाद से विपक्षी दलों को जैसे बैठे-बिठाये एक मुद्दा मिल गया है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे हों या अखिलेश यादव, सबने इस घटना के लिए सरकार की अव्यवस्था और राजनीति के साथ वीआईपी मूवमेंट को जिम्मेदार ठहराया है। बहरहाल घटना के बाद से सुबह से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सक्रिय हैं और चार बार सीएम योगी आदित्यनाथ से बात कर चुके हैं। महाकुंभ भले ही आस्था का विषय हो और श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंच रहे हों लेकिन जिस तरह से सियासत हो रही है, उससे यह आयोजन भी अछूता नहीं है। अभी आगे महत्वपूर्ण अमृत स्नान हैं जिनमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ेगी। ऐसे में सरकार को इस तरह व्यवस्थाएं करनी होगी कि इस तरह की स्थिति दोबारा न बन पाए। अब देखना होगा कि सीएम योगी आदित्यनाथ इसके लिए और क्या-क्या कदम उठाते हैं।

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