मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े एक अहम मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हिंदू पक्ष द्वारा दायर उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को भविष्य की सभी अदालती कार्यवाही में ‘विवादित ढांचा’ (Disputed Structure) के रूप में संदर्भित करने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने इस अर्जी को ‘इस स्तर पर’ (at this stage) खारिज करते हुए कहा कि मस्जिद से जुड़ी संपत्ति को फिलहाल ‘विवादित’ घोषित नहीं किया जा सकता। यह फैसला उन हिंदू याचिकाकर्ताओं के लिए एक बड़ा झटका है, जो शाही ईदगाह मस्जिद को कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के ऊपर निर्मित अवैध अतिक्रमण मानते हैं और इसे हटाने की मांग कर रहे हैं।
यह अर्जी अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दायर की गई थी और कई अन्य पक्षों ने इसका समर्थन किया था, जो इस मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनकी मुख्य मांग थी कि अदालत के रिकॉर्ड और सुनवाई के दौरान शाही ईदगाह मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ के तौर पर संबोधित किया जाए, ताकि इसके विवादित चरित्र को स्थापित किया जा सके। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस अर्जी का कड़ा विरोध किया था।
यह मामला मथुरा में 13.37 एकड़ के कटरा केशव देव मंदिर परिसर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग से संबंधित है। हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर 1669-70 में एक ध्वस्त मंदिर के ऊपर किया गया था। इस मामले से जुड़े कुल 18 मुकदमे वर्तमान में इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित हैं, जिन्हें मई 2023 में मथुरा की निचली अदालत से हाईकोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया था और बाद में एक साथ जोड़ दिया गया था।
हालांकि हाईकोर्ट ने इस अर्जी को खारिज कर दिया है, लेकिन मामले की सुनवाई जारी रहेगी। अगली सुनवाई 2 अगस्त, 2025 को निर्धारित की गई है। इस फैसले को मुस्लिम पक्ष के लिए एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, जबकि हिंदू पक्ष अपनी आगे की रणनीति पर विचार करेगा। यह मामला देश के सबसे संवेदनशील धार्मिक-भूमि विवादों में से एक है, और अदालत का हर फैसला इस पर गहरा प्रभाव डालता है।