भारत में ऐसे कई लोग होंगे जो हिंदी ठीक से बोल नहीं पाते हैं। ऐसे में उनके लिए संस्कृत बोलना तो और भी कठिन होगा। लेकिन कई विदेशी नागरिक ऐसे भी हैं जिन्हें भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा का इतना सम्मोहन है कि वे इसे सीख चुके हैं। इन्हीं में एक है स्पेन की पावला मार्टिनेज। उन्हें देखकर तो यही लगेगा कि वे इंगलिश या स्पेन की भाषा बोलती होंगी, लेकिन जब वे धाराप्रभाव हिंदी और बिना रुके संस्कृत के श्लोक बोलतीं हैं तो हर कोई आश्चर्यचकित रह जाता है। दरअसल पावला एक साल के लिए ऋषिकेश में योग सीखने के लिए आईं थीं। फिर ङ्क्षहदू धर्म, भारतीय संस्कृति और हिंदी भाषा से इतनी प्रभावित हुईं कि अब यहीं की होकर रह गईं। पावला कहती भी हैं अब उनके दिल में हिंदी और हिंदुस्तान है।
न गुरु, न कोचिंग, खुद ही सीख ली हिंदी
पावला मार्टिनेज 10 साल पहले एमबीबीएस की पढ़ाई करने ऋषिकेश हिमालयन योग फाउंडेशन में आई थीं। उन्हें वेद मंत्र सुनना अच्छा लगने लगा और फिर उन्होंने अपने गुरु शंकर तिलकानंद से संस्कृत के श्लोक सीखने शुरू किए। वह बताती हैं कि आश्रम में बाहर से भी लोग आते थे, लेकिन वह न तो उनसे बात कर पाती थीं और न ही उनकी बातों को समझ पाती थीं। ऐसे में उन्होंने हिंदी फिल्म, एप से धीरे-धीरे स्वयं ही सीखने का अभ्यास किया और नतीजा सबके सामने है। हिंदी सीखने की लगन और दृढ़ इच्छा शक्ति ही थी कि उन्होंने महज तीन माह में हिंदी बोलनी और समझनी सीख ली।
पावला मार्टिनेज का नाम अब है स्वतंत्रता चैतन्य
पावला बताती हैं कि जब उन्होंने ऋषिकेश में गुरु शंकर तिलकानंद से दीक्षा ली, तो उन्होंने सबसे पहले उनका नाम परिवर्तित कर स्वतंत्रता चैतन्य रखा। स्वतंत्रता का अर्थ सारे सांसारिक बंधनों से मुक्त होकर भक्ति में लीन हो जाना है। जब यह नाम मिला गया तो संयोग से वह अगस्त का महीना था और भारत अपनी आजादी का जश्न मना रहा था। स्वतंत्रता चैतन्य बताती हैं कि उनकी मां की अध्यात्म में रुचि थी और भारत की संस्कृति से काफी प्रभावित थीं। वे मुझे भी बताती थीं कि भक्ति से ही आत्मिक शांति मिलती है। वे आठ साल की थीं, तभी से भारत की धर्म, संस्कृति के प्रति एक अलग अहसास महसूस करने लगीं। ऋषिकेश में योग सीखा और यहीं के रंग में रंग गईं।