उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली उत्तराखंड सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाली ऊधमसिंह नगर के काशीपुर निवासी सायरा बानो को उत्तराखंड महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। 2016 में सायरा बानो उस समय चर्चा में आई थीं, जब उन्होंने ट्रिपल तलाक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की थी। 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया था।
मुस्लिम महिलाओं को मिला अधिकार
सायरा बानो तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लडऩे वाली प्रमुख मुस्लिम महिलाओं में से एक हैं। उनके द्वारा उठाए गए कदम ने भारतीय मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। सायरा बानो ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहुविवाह के खिलाफ याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि ये प्रथाएं मुस्लिम महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया। इस फैसले के बाद भारत सरकार ने मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 पारित किया, जिसने तीन तलाक को आपराधिक बना दिया।
राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा मुद्दा
सायरा बानो की याचिका ने तीन तलाक के मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाश में लाया। उनके प्रयासों ने मुस्लिम महिलाओं को उनके अधिकारों के लिए लडऩे के लिए प्रेरित किया। उनके काम ने भारत में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करने में मदद की। सायरा बानो ने पिछले दिनों भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण की है। उन्होंने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का भी समर्थन किया है। सायरा बानो का तीन तलाक के खिलाफ संघर्ष भारतीय इतिहास में महिलाओं के अधिकारों के लिए एक महत्वपूर्ण अध्याय साबित हुआ है।
यह बोले सीएम धामी
सीएम धामी ने एक्स पर लिखा कि प्रदेश सरकार द्वारा आज समाजसेवा के प्रति समर्पित महानुभावों को विभागीय दायित्व सौंपे गए हैं, जिससे प्रदेश में जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन और अनुश्रवण को और अधिक गति मिलेगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि सभी नव-नियुक्त दायित्वधारी अपने अनुभव, समर्पण और कर्मठता से जनसेवा के कार्यों में नई ऊर्जा का संचार करेंगे। आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।