भारत के महान शिल्पकार और दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ को आकार देने वाले राम वी. सुतार का 100 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। कला जगत के एक युग का अंत करते हुए, उन्होंने 18 दिसंबर 2025 को अंतिम सांस ली। राम सुतार न केवल एक मूर्तिकार थे, बल्कि वे भारत की सांस्कृतिक विरासत को पत्थरों और धातुओं में जीवंत करने वाले जादूगर माने जाते थे।
कलात्मक सफर और प्रमुख उपलब्धियां
राम सुतार का जन्म 1925 में महाराष्ट्र के धूलिया जिले में हुआ था। उनकी कला यात्रा ने उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई। उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ है, जो सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा है। गुजरात के केवडिया में स्थित यह प्रतिमा वर्तमान में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है।
उनकी प्रमुख कृतियां:
- संसद भवन में प्रतिमाएं: महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. बी.आर. अंबेडकर की संसद में लगी प्रतिमाएं उन्हीं के हाथों का कमाल हैं।
- गांधी प्रतिमा (ऋषिकेश): ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रसिद्ध प्रतिमा।
- चंबल स्मारक: मध्य प्रदेश के गांधी सागर बांध पर स्थित 45 फीट ऊंची ‘चंबल देवी’ की प्रतिमा।
- अंतरराष्ट्रीय पहचान: उनके द्वारा बनाई गई महात्मा गांधी की प्रतिमाएं फ्रांस, इटली, रूस और इंग्लैंड सहित कई देशों में स्थापित हैं।
सम्मान और पुरस्कार
भारत सरकार ने उनकी अद्वितीय प्रतिभा और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाजा:
- पद्म भूषण (2016)
- पद्म श्री (1999)
- टैगोर सांस्कृतिक सद्भावना पुरस्कार (2016)
एक अपूरणीय क्षति
राम सुतार के निधन पर देश की कई बड़ी हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है। जानकारों का कहना है कि उन्होंने मिट्टी और कांसे के माध्यम से भारत के इतिहास को जो स्वरूप दिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा। 100 वर्ष की आयु में भी वे अपनी कला के प्रति समर्पित थे और नोएडा स्थित अपने स्टूडियो में सक्रिय रहते थे।


