उप्र के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से आस्था का सबसे बड़ा मेला महाकुंभ का आयोजन होना है। इस आयोजन पर पूरे देश के साथ ही दुनिया की नजरें भी टिकी हुई हैं। ऐसे में उप्र की योगी सरकार इस आयोजन को मेगा इवेंट के तौर पर आयोजित करने के लिए तैयार है। इसके साथ ही यहां पर हाईटेक सुविधाएं होंगी और श्रद्धालुओं से लेकर साधु संतों तक को ये सुविधाएं सहजता से उपलब्ध होंगी। महाकुंभ में इस बार संस्थाओं और साधु-संतों के साथ ही तीर्थ पुरोहितों को जमीन और सुविधा पर्ची तक हासिल करने के लिए मेला प्राधिकरण का चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। प्रयागराज मेला प्राधिकरण इस बार आनलाइन आवेदन करने की सुविधा शुरू उपलब्ध कराएगा, जिससे सबकुछ ऑनलाइन मिलेगा। एक साफ्टवेयर के जरिए जमीन और सुविधाओं के लिए आवेदन करने की सेवा का ट्रायल हो चुका है।
शिकायतों को भी होगा ऑनलाइन निराकरण
महाकुंभ में साधु संतों और संस्थाओं को जमीन आवंटन से लेकर सुविधा पर्ची तक के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा सकेगा। सॉफ्टवेयर का ट्रायल प्रयागराज मेला प्राधिकरण के कार्यालय में हुआ जिसमें कमिश्नर और कुंभ मेलाधिकारी समेत सभी अफसर मौजूद थे। सॉफ्टवेयर देखने के बाद आला अधिकारियों ने इसे हरी झंडी दे दी है। बताया गया कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से आवेदन करने से लेकर शिकायतों तक का निस्तारण आनलाइन हो जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं से लेकर साधु-संतों को कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सुविधा पर्ची लेने के बाद संबंधित विभाग द्वारा किए जाने वाले कार्य की गुणवत्ता और शिकायतों की निगरानी भी बड़ी आसानी से हो जाएगी। साधु संतों, संस्थाओं और तीर्थ पुरोहित सभी की सुविधा के लिए जमीन से लेकर सुविधाओं तक की पर्चियों के लिए ऑनलाइन आवेदन की सुविधा बेहद कारगर साबित होगी। ऑनलाइन आवेदन करने की प्रक्रिया कब से शुरू होगी, इसकी घोषणा अभी नहीं हो पाई है। पता चला है कि शासन से मंजूरी मिलने के बाद ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया शुरू होगी।
पहले यह थी व्यवस्था
- मेले की शुरुआत से पहले साधु-संतों के साथ संस्थाओं को बसाया जाता है जिसके साथ ही तीर्थ पुरोहितों का शिविर लगता है।
- कुम्भ मेला में 4 हजार से ज्यादा संस्थाएं और 13 अखाड़ों के शिविर लगते हैं और अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर और महामंडलेश्वर अपने शिविर लगाते हैं।
- शिविर लगाने के लिए साधु-संत, अखाड़े के अलावा संस्थाएं और तीर्थपुरोहितों को प्रयागराज मेला प्राधिकरण के ऑफिस में आवेदन करना पड़ता था।
- इसके बाद उन्हें मेला कार्यालय से जमीन आवंटन से लेकर नल, बिजली, शौचालय समेत अन्य सुविधाओं की पर्चियां मिलती थीं।
- इसके बाद इसी पर्ची के जरिए उनके शिविरों की बसावट पूरी होती थी। मेला प्रशासन की तरफ से जमीन व सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती थीं।