लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतकर इतरा रही कांग्रेस और राहुल गांधी की हवा निकल गई है। खुद को संविधान और देश की जनता का रक्षक बताने वाले राहुल गांधी लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष तो बन गए, लेकिन अपना वह जलवा बरकरार नहीं रख पाए, जिसका दावा कांग्रेस कर रही थी। इस तरह लोकसभा चुनाव में जीत को तुक्का ही माना जा रहा है, क्योंकि कांग्रेस लगातार 3 चुनाव में हार का सामना कर चुकी है। वहीं लोकसभा चुनाव में झटका लगने के बाद भाजपा और पीएम मोदी ने सधी हुई रणनीति और ग्राउंड पर कड़ी मेहनत के दम पर जीत हासिल की और हैट्रिक बनाई। पहले हरियाणा, फिर महाराष्ट्र और फिर दिल्ली में शानदार जीत कर मोदी ने विरोधियों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।
हार को जीत में बदला
हरियाणा में भाजपा पर हार का खतरा मंडरा रहा था। सभी सर्वे बीजेपी की हार और कांग्रेस की वापसी की भविष्यवाणी कर रहे थे, लेकिन मोदी और सीएम नायब सिंह सैनी का जादू ऐसा चला कि कांग्रेस उनकी आंधी में उड़ गई। महाराष्ट्र में तो शरद पवार, उद्धव ठाकरे और कांग्रेस की जुगलबंदी थी। लोकसभा चुनाव में जीत का आधार भी था। लेकिन भाजपा ने महायुति बनाकर ऐसी पटखनी दी कि विरोधी उससे अब तक नहीं उबर पाए हैं। इसी तरह दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का मजबूत जनाधार था, लेकिन मोदी मैजिक के आगे केजरीवाल भी ध्वस्त हो गए। इसी के साथ राहुल गांधी की खुमारी भी उतर चुकी है।
तुक्का ही थी लोकसभा की जीत
लोकसभा में कांग्रेस और विपक्ष की जीत को तुक्का ही माना जा सकता है, क्योंकि इसके बाद विपक्ष लगातार हारा। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि विपक्ष ने संविधान के नाम पर लोगों को बरगलाया और संविधान बदलने का नैरेटिव सैट किया था। लेकिन अब यह नैरेटिव भी झूठा साबित हुआ है। अब मोदी और एनडीए का फोकस बिहार चुनाव होगा, जहां जीत का चौका लगाने की पूरी कोशिश की जाएगी।