भारत और आर्मेनिया के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग ने तुर्की और उसके सहयोगी पाकिस्तान को बेचैन कर दिया है। तुर्की, जो लंबे समय से पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है और अर्कीनिया के विरोधी अज़रबैजान का पक्ष लेता रहा है, अब भारत के इस रणनीतिक कदम से ‘थर-थर कांपने’ पर मजबूर हो सकता है। भारत, अपनी “आत्मनिर्भर भारत” पहल के तहत रक्षा उत्पादन में लगातार आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है और अब हथियारों का एक प्रमुख निर्यातक बनकर उभरा है। आर्मेनिया, जो अज़रबैजान के साथ अपने सीमा विवादों के कारण सैन्य रूप से कमजोर स्थिति में रहा है, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा भागीदार बन गया है।
भारत आर्मेनिया को कौन से घातक हथियार दे रहा है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत आर्मेनिया को कई अत्याधुनिक और घातक हथियार प्रणालियां मुहैया करा रहा है। इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं:
- पिनाका मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर (MLRS): यह एक स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर प्रणाली है जो कम समय में भारी मात्रा में रॉकेट दागने में सक्षम है, जिससे दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है।
- आकाश एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम: यह मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है जो लड़ाकू विमानों, गाइडेड मिसाइलों और ड्रोन जैसे हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है।
- 155mm आर्टिलरी गन: भारत ने आर्मेनिया को उन्नत आर्टिलरी गन भी मुहैया कराई हैं।
- एंटी-टैंक मिसाइलें और रॉकेट: ये हथियार दुश्मन के टैंकों और बख्तरबंद वाहनों को नष्ट करने में सक्षम हैं।
- काउंटर-ड्रोन सिस्टम (ZADS): ड्रोन हमलों से निपटने के लिए भी भारत आर्मेनिया को प्रणाली दे रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में, आर्मेनिया भारत से हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बनकर उभरा है, जिसके तहत 600 मिलियन डॉलर से अधिक के सौदे हुए हैं। यह सहयोग आर्मेनिया को अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने में मदद कर रहा है, खासकर ऐसे समय में जब तुर्की अज़रबैजान को सैन्य और राजनयिक सहायता प्रदान कर रहा है।
भारत का यह कदम न केवल आर्मेनिया की सुरक्षा को मजबूत कर रहा है, बल्कि यह तुर्की और पाकिस्तान के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है कि भारत अपने सहयोगियों का समर्थन करने और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने के लिए तैयार है। यह रणनीतिक साझेदारी भविष्य में क्षेत्र की भू-राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।