पहलगाम हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित कई आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया। इस दौरान, भारत की ब्रह्मोस मिसाइल और अन्य अत्याधुनिक हथियारों की सटीकता और मारक क्षमता ने पाकिस्तान को अपनी रक्षा प्रणाली की कमजोरियों का एहसास कराया है।
चीनी हथियारों की खुली पोल
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान ने जिन चीनी हथियारों पर भरोसा किया था, वे भारत की मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स के सामने बेअसर साबित हुए। पाकिस्तानी वायु सेना के पास मौजूद चीनी JF-17 और J-10C फाइटर जेट, और HQ-9P एयर डिफेंस सिस्टम भारतीय मिसाइलों और विमानों का प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं कर पाए। इससे यह साबित हुआ कि चीन द्वारा सप्लाई किए गए हथियार भारतीय रक्षा प्रणाली के आगे टिक नहीं सकते।
पाकिस्तान की चीन से नई गुहार
इस असफलता के बाद, पाकिस्तान ने अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक बार फिर अपने सदाबहार दोस्त चीन की ओर रुख किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान चीन से निम्नलिखित उन्नत हथियारों की मांग कर रहा है:
- उन्नत मिसाइलें और लेजर हथियार: पाकिस्तान ऐसी मिसाइलों की तलाश में है जो भारत के एयर डिफेंस सिस्टम को भेद सकें। साथ ही, वे लेजर हथियारों में भी रुचि दिखा रहे हैं, जिनसे भारतीय ड्रोन और मिसाइलों को निष्क्रिय किया जा सके।
- HQ-19 एयर डिफेंस सिस्टम: चीन के HQ-19 एयर डिफेंस सिस्टम को रूस के S-400 के समान माना जाता है, और पाकिस्तान का मानना है कि यह ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों का मुकाबला कर सकता है।
पाकिस्तान का ‘रॉकेट फोर्स’ बनाने का फैसला
ऑपरेशन सिंदूर में हुई तबाही से सबक लेते हुए पाकिस्तान ने एक नई सैन्य यूनिट बनाने का फैसला किया है, जिसे ‘आर्मी रॉकेट फोर्स कमांड’ (ARFC) कहा जाएगा। यह यूनिट पारंपरिक मिसाइलों और रॉकेटों को संभालेगी और इसमें चीन से खरीदे गए हाइपरसोनिक हथियार भी शामिल हो सकते हैं। इस कदम से दक्षिण एशिया में हथियारों की होड़ बढ़ने की आशंका है।