पुणे के सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के 22वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वैश्विक भू-राजनीति और शक्ति संतुलन (Global Pecking Order) पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया उस दौर से बाहर निकल चुकी है जहाँ कोई एक देश दूसरों पर अपनी मर्जी थोप सकता था।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि दुनिया का आर्थिक और राजनीतिक ढांचा अब पूरी तरह बदल चुका है। अब शक्ति के कई केंद्र उभर चुके हैं। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अब हर मुद्दे पर अपनी मर्जी नहीं चला सकता।देशों के बीच अब एक ‘नेचुरल कॉम्पिटिशन’ है, जो वैश्विक व्यवस्था में अपना नया संतुलन खुद बना रहा है।
- सार्वभौमिकता का अंत: उन्होंने कहा कि यह स्वीकार करना जरूरी है कि वैश्विक शक्तियां अब ‘यूनिवर्सल’ (Universal) नहीं रही हैं, यानी उनका प्रभाव अब सीमित है।
2. शक्ति की नई परिभाषा
विदेश मंत्री के अनुसार, आज ‘शक्ति’ का मतलब केवल सैन्य ताकत नहीं है, बल्कि इसके कई नए आयाम जुड़ गए हैं:
- तकनीक और प्रतिभा (Talent): आज जिसके पास बेहतर टेक्नोलॉजी और टैलेंट है, वही असली शक्ति है।
- संसाधन और ऊर्जा: व्यापार, ऊर्जा सुरक्षा और संसाधनों पर नियंत्रण भी शक्ति के नए मानक हैं।
3. भारत की बदलती छवि
जयशंकर ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया भारत को पहले से कहीं अधिक सकारात्मक और गंभीर रूप से देख रही है।
- नेशनल ब्रांड: भारत की साख दुनिया में बढ़ी है, जिसका कारण हमारा ‘नेशनल ब्रांड’ और भारतीयों की मेहनत है।
- मैन्युफैक्चरिंग पर जोर: उन्होंने जोर दिया कि भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था को तकनीक के साथ तालमेल बिठाने के लिए एक मजबूत मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर विकसित करना होगा।
जयशंकर का यह बयान उभरते हुए ‘ग्लोबल साउथ’ और भारत की स्वतंत्र विदेश नीति को रेखांकित करता है, जहाँ अब फैसले दबाव में नहीं बल्कि आपसी हितों के आधार पर लिए जाते हैं।


