समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हाल ही में चुनाव आयोग (ईसी) पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने चुनाव आयोग को 18,000 हलफनामे (एफिडेविट) सौंपे हैं, लेकिन इसके बावजूद आयोग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अगर इतने सबूत देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती, तो लोग चुनाव आयोग पर कैसे भरोसा करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव ने दावा किया है कि उनकी पार्टी ने मतदाता सूची (वोटर लिस्ट) में गड़बड़ी और फर्जी वोटरों के नाम होने को लेकर चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। इस शिकायत के समर्थन में उन्होंने लोगों से 18,000 हलफनामे एकत्र किए थे। उन्होंने कहा कि समय की कमी के कारण वे और अधिक हलफनामे नहीं बनवा सके, वरना यह संख्या और भी ज्यादा हो सकती थी।
अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा, “इतने कम समय में हम 18 हजार एफिडेविट ही बनवा सके, समय अगर और होता तो शायद और एफिडेविट बनवा सकते। लेकिन 18 हजार एफिडेविट मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं होगी तो कौन भरोसा करेगा इलेक्शन कमीशन पर।”
“भाजपा जाए तो सत्यता आए!”
उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जब तक भाजपा सत्ता में है, तब तक चुनाव प्रक्रिया की सत्यता पर सवाल उठते रहेंगे। उनका इशारा साफ था कि भाजपा के रहते चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर पाएगा।
अखिलेश यादव के इस बयान से एक बार फिर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि चुनाव आयोग इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देता है और क्या इन हलफनामों की जांच की जाती है।