संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद परिसर में मीडिया से कहा कि पुरानी पीढ़ी का काम है आने वाली पीढिय़ों को तैयार करें। 80-90 बार जिनको जनता ने नकार दिया है, वे न संसद में चर्चा होने देते हैं न लोकतंत्र की भावना का सम्मान करते हैं। मोदी ने कहा कि न वो लोगों के प्रति अपना दायित्व समझ पाते हैं और न जनता की उम्मीदों पर कभी भी खरे उतरते है। जनता को उन्हें बार-बार नकारना पड़ रहा है।
मुठ्ठी भर लोगों की हुड़दंगबाजी
पीएम मोदी ने कहा कि संसद में स्वस्थ चर्चा हो, ज्यादा से ज्यादा लोग चर्चा में अपना योगदान दें। लेकिन ऐसा नहीं हो पाता है। दुर्भाग्य से कुछ लोगों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए जिनको जनता ने अस्वीकार किया है, वे संसद को भी मुठ्ठी भर लोगों की हुड़दंगबाजी से नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। देश की जनता उनसे सारे व्यवहारों को गिनती है और समय आने पर सजा भी देती है। लेकिन दुख की बात है कि नए सांसदों के अधिकारों को कुछ लोग दबोच देते हैं।
2024 का ये अंतिम कालखंड
पीएम मोदी ने कहा कि 2024 का ये अंतिम कालखंड चल रहा है। देश पूरे उमंग और उत्साह के साथ 2025 के स्वागत की तैयारी में भी लगा हुआ है। संसद का ये सत्र अनेक प्रकार से विशेष है। मोदी ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि हमारे संविधान के 75 साल की यात्रा, 75वें साल में उसका प्रवेश लोकतंत्र के लिए बहुत ही उज्ज्वल अवसर है। कल हम सब मिलकर संविधान सत्र में संविधान के 75वें वर्ष के उत्सव की शुरुआत करेंगे।