मालदीप के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन की सरपरस्ती में जाकर बड़ी भूल कर दी है। पहले तो भारत के पर्यटकों ने मालदीव से किनारा कर उसकी अर्थव्यवस्था को हिला दिया है। वहीं अब मोदी सरकार ने मालदीप को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल मोदी सरकार ने अपने अंतरिम बजट में मालदीप को 72 मिलियन अमेरिकी डॉलर आवंटित किए थे। लेकिन हाल ही में पेश किए गए पूर्ण बजट में मोदी सरकार ने आर्थिक सहायता में कटौती कर दी है। अब मालदीव को भारत सरकार ने कटौती कर 48 मिलियन अमेरिका डॉलर कर दिया है। इससे मालदीव को 14 मिलियन अमेरिकी डॉलर का झटका दे दिया है। पहले मोदी सरकार ने मालदीव को अनुमानित 92.9 मिलियर अमेरिकी डॉलर की मदद की थी।
इन दो देशों को अब ज्यादा मदद
भारत अपने पड़ोसी देशों को आर्थिक मदद करते रहा है और यह विदेश नीति का हिस्सा भी होता है। अमेरिका, रूस, चीन समेत बड़े देश ऐसा किया करते हैं। पहले भारत मालदीप को बड़ी सहायता करते रहा है, लेकिन इस बार के बजट में ऐसा नहीं हुआ है। मालदीव की तुलना में अब भारत आने वाले साल में अपने पड़ोसी देश भूटान और नेपाल को सबसे ज्यादा आर्थिक सहायता देने का मन बना लिया है। भूटान तो भारत पर पूरी तरह निर्भर है, वहीं नेपाल में सत्ता परिवर्तन हुआ है। ऐसे में देखना होगा कि चीन परस्ते प्रधानमंत्री ओपी ओली अपनी भूल सुधारते हैं या नहीं।
संतुलन साधने के प्रयास में मुइज्जू
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पहले चीन के पाले में जाते दिख रहे थे। बाद में उन्होंने भारत से संतुलन साधने का प्रयास किया। मोदी के विरोध में बोलने वाले मंत्रियों को उन्होंने मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया। हाल में वे प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में आए थे। अब देखना होगा कि वे किस तरफ ज्यादा झुकते हैं।