हिन्दू धर्म में सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दौरान भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत-उपवास रखते हैं। मान्यता है कि सावन मास में भगवान महादेव कैलाश पर्वत छोड़कर पृथ्वी पर वास करने आते हैं।
पृथ्वी पर क्यों आते हैं महादेव?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन माह में सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार मास के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि में सृष्टि का संचालन और लोक-कल्याण का भार भगवान शिव संभालते हैं। इसीलिए सावन में भगवान शिव पृथ्वीलोक पर आकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
कई अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं:
- समुद्र मंथन: कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान जब हलाहल विष निकला था, तो भगवान शिव ने उसे पीकर समस्त संसार को बचाया था। इस विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवताओं ने उन पर जल चढ़ाया था। यह घटना सावन माह में हुई थी, तभी से शिव को जल अत्यंत प्रिय है और इस महीने जलाभिषेक का विशेष महत्व है।
- माता पार्वती का तप: मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन माह में ही कठोर तपस्या की थी, जिसके परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उनसे विवाह किया।
कहां करते हैं वास?
सावन माह में भगवान शिव पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर वास करते हैं। हालांकि, मुख्य रूप से यह माना जाता है कि वह अपनी ससुराल यानी हरिद्वार के पास कनखल में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में अपनी पत्नी माता सती (पार्वती) के साथ निवास करते हैं। इसके अलावा, शिव निवास जानने के लिए ज्योतिषीय गणना भी की जाती है, जिसके अनुसार तिथियों के आधार पर शिव का वास कैलाश, गौरी के बगल, वृषारूढ़ (नंदी पर सवार) या अन्य स्थानों पर माना जाता है।
कब से हो रहा सावन मास 2025?
इस वर्ष 2025 में सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई (शुक्रवार) से शुरू हो रहा है, और इसका समापन 9 अगस्त (शनिवार) को रक्षाबंधन के पर्व के साथ होगा। इस दौरान चार सोमवार पड़ेंगे, जिनका विशेष धार्मिक महत्व होता है। पहला सावन सोमवार 14 जुलाई को पड़ेगा। भक्त इस पूरे माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और व्रत करते हैं।