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    पीके की बदलाव रैली में कम जुटी भीड़.. क्या अपरिपक्व साबित होंगे

    पटना में चुनावी रणनीतिकार से नेता बने जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर की बदलाव रैली थी। पीके और उनके समर्थकों ने इसके लिए खूब ढिंढोरी पीटा और भीड़ जुटने का दावा किया, लेकिन ऐसा कुछ नजर नहीं आया। उन्होंने असमय रैली की और तैयारियां भी पूरी नहीं हो पाईं। प्रशांत किशोर के अपरिपक्व राजनीति का नजारा यह रहा कि उन्हें राजधानी के गांधी मैदान में फजीहत का सामना करना पड़ा। हालांकि उन्होंने जनमानस के सामने साफ कर दिया कि गया कि अभी उनमें, उनकी राजनीतिक दृष्टि और चेतना में बदलाव की जरूरत है।

    मजबूत तैयारी का दिखा अभाव

    नीतीश, तेजस्वी और भाजपा को चुनौती देने उतर पीके मजबूत तैयारी के साथ मैदान में नहीं दिख रहे। प्रशांत किशोर की यह असफलता कोई पहली बार नहीं हुई। बीपीएससी अभ्यर्थियों के समर्थन में आंदोलन करने के लिए प्रशांत किशोर ने पटना के गांधी मैदान में सत्याग्रह किया। छात्र-छात्राओं के साथ पुलिस की लाठियां खाई और एक साधारण प्रक्रिया का पालन नहीं करने के कारण खुद कोर्ट के चक्कर लगाए। इस तरह इस आंदोलन का बंटाधार हो गया। उन पर बीपीएससी अभ्यर्थी पर कंबल और खाना देने के बदले अहसान जताने का भी आरोप लगा। ऐसे में सवाल है कि वह बिहार की पूरी व्यवस्था को ठीक कर देने का वादा कर रहे हैं, लेकिन अपनी भीतरी व्यवस्था तक नहीं कर पा रहे। ऐसे में 6 माह बाद होने वाले चुनाव में उनका क्या हश्र होगा, यह तो वक्त ही बताएगा।

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