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    अंग्रेजों ने नहीं, भारतीय सैनिकों ने आजाद कराया था हाइफा.. इजरायल पर भारत का बड़ा कर्ज

    इजरायल ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हाइफा शहर को ओटोमन साम्राज्य (तुर्क मुसलमानों) के शासन से मुक्त कराने में भारतीय सैनिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को आधिकारिक रूप से मान्यता दी है। इजरायल स्थित भारतीय दूतावास द्वारा हाइफा युद्ध की 107वीं वर्षगांठ मनाए जाने के दौरान यह बात सामने आई, जिसके चलते अब इजरायल के इतिहास की किताबों में भी बदलाव किया जाएगा।


    इजरायल के इतिहास में बदलाव की घोषणा

    हाइफा शहर के मेयर योना याहाव ने घोषणा की है कि स्थानीय स्कूलों के इतिहास के पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाएगा। अब छात्रों को यह पढ़ाया जाएगा कि हाइफा शहर को अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों ने आज़ाद कराया था।

    शहीद सैनिकों की वीरता को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक समारोह में याहाव ने कहा: “वर्षों तक हमें यही पढ़ाया जाता रहा कि हाइफा को अंग्रेजों ने आजाद कराया था। एक व्यापक शोध से यह साबित हो गया है कि इस शहर को ओटोमन साम्राज्य से अंग्रेजों ने नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों ने आजाद कराया था।”

    हाइफा की लड़ाई (बैटल ऑफ हाइफा)

    हाइफा की लड़ाई 23 सितंबर 1918 को लड़ी गई थी और इसे इतिहास के अंतिम महान घुड़सवार अभियानों में से एक माना जाता है।

    • नेतृत्व: राजपूताने की सेना का नेतृत्व जोधपुर रियासत के सेनापति मेजर दलपत सिंह ने किया था।
    • रणनीति: भालों और तलवारों से लैस भारतीय रेजिमेंटों ने माउंट कार्मेल की खड़ी ढलानों को पार किया और ओटोमन सेनाओं को खदेड़ दिया। उन्होंने बंदूकों, तोपों और मशीन गन के सामने अपनी परंपरागत युद्ध शैली से बहादुरी से लड़ाई लड़ी।
    • परिणाम: इस वीरतापूर्ण अभियान के बाद भारतीयों ने हाइफा पर कब्जा कर लिया, जिससे हाइफा पर 400 साल पुराने ओटोमन साम्राज्य के शासन का अंत हो गया।
    • बलिदान: इस लड़ाई में जोधपुर की सेना के करीब 900 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे।

    भारतीय राजदूत जेपी सिंह ने बताया कि यह एकमात्र ऐसा रिकॉर्डेड उदाहरण है, जहां किसी घुड़सवार सेना ने इतनी तेज़ी से किसी किलेबंद शहर पर कब्जा किया हो। उन्होंने यह भी बताया कि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 74,000 से अधिक भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

    हाइफा दिवस और भारत-इजरायल संबंध

    हाइफा को 1918 में तत्कालीन जोधपुर, मैसूर और हैदराबाद लांसर्स के भारतीय सैनिकों ने आज़ाद कराया था।

    • हाइफा दिवस: इन सैनिकों के साहस और वीरता को सम्मानित करने के लिए हर साल 23 सितंबर को हाइफा में हाइफा दिवस मनाया जाता है।
    • अटूट बंधन: इजरायल स्थित भारतीय दूतावास ने कहा कि भारतीय सैनिकों का यह बलिदान एक ऐसी विरासत है जो भारत और इज़राइल के बीच दोस्ती के अटूट बंधन को मजबूत करती रहती है।

    इजरायल द्वारा भारतीय सैनिकों के इस ऐतिहासिक योगदान को मान्यता देना दोनों देशों के बीच मजबूत होते रणनीतिक और भावनात्मक संबंधों को दर्शाता है।

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