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    आपदा को अवसर में बदलेगा भारत.. अमेरिकी टैरिफ का ऐसे दिया जाएगा जवाब

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से 27 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के बावजूद भारत दुनिया के प्रमुख लाभार्थियों की तुलना में शीर्ष पर रहेगा। इससे भारत को विनिर्माण में अपनी महारत हासिल करने में मदद मिलेगी। वहीं वैश्विक स्तर पर वे कंपनियां भारत की ओर रुख कर सकती हैं जो अमेरिका और चीन के साथ वियतनाम जैसे देशों के भारी टैरिफ से जूझ रही हैं। वेंचुरा सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर जो टैरिफ दर लगाई है, वह दर अन्य वैश्विक व्यापारिक भागीदारों पर लगाए गए भारी जुर्माने की तुलना में मामूली है। इससे अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य रणनीतियों के पुनर्मूल्यांकन के बीच वैश्विक व्यापार गतिशीलता में भारत की बढ़ती अनुकूल स्थिति रेखांकित होती है। ट्रंप की टैरिफ रणनीति अमेरिका में मांग को झटका दे सकती है और इससे वैश्विक आपूर्ति में वृद्धि हो सकती है।

    टैरिफ से चीन को ज्यादा घाटा

    भारत पर अपेक्षाकृत कम टैरिफ से चीन को नुकसान उठाना पड़ सकता है। चीन और वियतनाम में एपल या जो बड़ी कंपनियों के कांट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर हैं, वे अब भारत की ओर रुख कर सकते हैं। इससे भारत को विनिर्माण तंत्र खड़ा करने में मदद मिल सकती है। ट्रंप से पहले बाइडेन ने भी चीन से बाहर विनिर्माण की पहल की थी। अब यह रुझान और तेज होगा। भारत का वर्तमान निर्यात 750-800 अरब डॉलर है और चीन का 3.3 लाख करोड़ डॉलर। इस स्थिति में भारत के पास वृद्धि की पर्याप्त गुंजाइश है।

    परिवर्तन का लाभ उठाने में भारत आगे

    वैश्विक व्यापार परिदृश्य एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है और भारत इस परिवर्तन का लाभ उठाने के लिए बेहतर स्थिति में है। मामूली टैरिफ, बढ़ते विनिर्माण आधार और संरचनात्मक लाभों के साथ भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत अमेरिका और पश्चिम के साथ अधिक निकटता से जुड़ा है। हालांकि अमेरिका और ट्रंप की कूटनीति के प्रति सतर्क भी रहना जरूरी है।

    फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल्स पर देना होगा जोर

    भारत को टैरिफ का लाभ उठाने के लिए फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल्स पर जोर देना चाहिए। टेक्सटाइल्स को पीएलआई और अन्य योजनाओं के जरिये बढ़ावा देना जरूरी है। सरकार ने निर्यात बढ़ाने के लिए कई योजनाएं घोषित की हैं, लेकिन अब इन पर और भी काम की जरूरत है। इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए 2.7 अरब डॉलर का पीएलआई है और इन सेक्टर की दक्षता और प्रदर्शन को बढ़ाने पर लगातार फोकस होना चाहिए। दरअसल जिन क्षेत्रों में भारत को बांग्लादेश, वियतनाम और लंका के साथ चीन से प्रतिस्पर्धा है, उनमें भारत पर टैरिफ बहुत कम है। टेक्सटाइल्स में बांग्लादेश प्रतिस्पर्धी है तो विनिर्माण में वियतनाम और चीन हैं। इन देशों पर 37 से 154 प्रतिशत टैरिफ है।

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