भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करने के लिए रूस के साथ बड़े रक्षा सौदों को अंतिम रूप देने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, भारत S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की बची हुई इकाइयों की डिलीवरी और अतिरिक्त खरीद के साथ-साथ Su-30MKI लड़ाकू विमानों के उन्नत संस्करण और R-37M लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को लेकर रूस से महत्वपूर्ण बातचीत कर रहा है। यह कदम अमेरिका की परवाह न करते हुए, भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है।
रूस ने भारत को आश्वासन दिया है कि S-400 मिसाइल सिस्टम के बचे हुए दो स्क्वॉड्रन की आपूर्ति 2026-27 तक पूरी कर दी जाएगी, भले ही यूक्रेन युद्ध के कारण कुछ देरी हुई हो। इसके अतिरिक्त, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान S-400 की सफल तैनाती के बाद भारत ने रूस से दो और S-400 यूनिट खरीदने का प्रस्ताव रखा है, जिससे भारत की वायु रक्षा और मजबूत होगी।
इन सबके साथ, भारतीय वायुसेना के Su-30MKI लड़ाकू विमानों को भी उन्नत करने की योजना है, जिससे उनकी मारक क्षमता और युद्धक क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। रूस ने भारत को अपनी उन्नत R-37M हाइपरसोनिक लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइल की पेशकश भी की है, जिसे Su-30MKI में एकीकृत किया जा सकता है। यह मिसाइल हवा में दुश्मन के विमानों को लंबी दूरी से मार गिराने में सक्षम है और भारतीय वायुसेना को एक बड़ी बढ़त दिला सकती है।
ये रक्षा सौदे भारत की बढ़ती रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाते हैं। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को प्राथमिकता देने पर भारत को एतराज है । कई विश्लेषक इसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत के प्रति कुछ अमेरिकी नीतियों के “धोखे” या अनिश्चितता के “करारे जवाब” के रूप में भी देख रहे हैं, जब अमेरिका ने अपने स्वयं के रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए भारत की चिंताओं को पूरी तरह से संबोधित नहीं किया था। भारत का यह कदम उसकी बहुध्रुवीय विदेश नीति का भी प्रमाण है, जहां वह अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न देशों के साथ संबंध बनाए रखता है।