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    भारत अब ‘अभेद्य किला’ नहीं! 13 महीनों में 4 टेस्ट हार, 11 साल का दबदबा खत्म

    भारतीय क्रिकेट टीम का घरेलू टेस्ट क्रिकेट में जो दबदबा पिछले एक दशक से अधिक समय से बना हुआ था, वह अब पिछले 13 महीनों में मिली लगातार हारों के कारण सवालों के घेरे में आ गया है। हाल ही में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोलकाता में मिली शर्मनाक हार ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।

    ​11 साल बनाम 13 महीने

    ​भारत के घरेलू टेस्ट प्रदर्शन में आई गिरावट इन आंकड़ों से स्पष्ट होती है:

    • जनवरी 2013 से अक्टूबर 2024 तक (लगभग 11 साल): भारत ने घर में 53 टेस्ट खेले, जिनमें से सिर्फ 4 टेस्ट हारे। यह हार का दर केवल 7.54% था।
    • अक्टूबर 2024 से अब तक (लगभग 13 महीने): भारत ने अपने घर में खेले गए केवल 6 टेस्ट मैचों में से 4 टेस्ट गंवा दिए हैं। यह हार का दर 66.66% तक पहुँच गया है, जो कि भारत के पूरे टेस्ट इतिहास में सबसे खराब है।

    ​यानी, जितने टेस्ट मैच हराने में विरोधी टीमों को लगभग 11 साल लगे थे, उतने ही मैच भारतीय टीम ने सिर्फ 13 महीनों में गंवा दिए हैं।

    ​घरेलू हार के प्रमुख कारण

    ​भारत को अपने ही घर में मिली ये हारें कई कारणों की ओर इशारा करती हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है:

    • स्पिन पिचों पर खराब बल्लेबाजी: भारतीय टीम पारंपरिक रूप से स्पिन के अनुकूल पिचें बनाती रही है ताकि घरेलू परिस्थितियों का फायदा मिल सके। हालांकि, हाल की हारों में यह देखा गया है कि भारतीय बल्लेबाज खुद ही स्पिन के सामने संघर्ष करते दिखे हैं। दक्षिण अफ्रीका के साइमन हार्मर जैसे स्पिनर ने भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया।
    • कोचिंग रणनीति पर सवाल: कोच गौतम गंभीर की देखरेख में टीम का घरेलू प्रदर्शन चिंताजनक रहा है। गंभीर ने खुद ही स्पिनिंग पिचों की वकालत की है, लेकिन टीम इन पिचों पर प्रदर्शन करने में विफल रही है, जिससे उनकी रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं।
    • मानसिक मजबूती की कमी: कोच गंभीर ने सार्वजनिक रूप से बल्लेबाजों की मानसिक मजबूती को हार का कारण बताया है। कम लक्ष्य का पीछा करते हुए भी भारतीय बल्लेबाजी का ढह जाना (जैसे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 124 रनों का लक्ष्य हासिल न कर पाना) टीम के आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है।
    • पिच चयन पर विवाद: कई पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों ने अत्यंत टर्निंग ट्रैक (Turning Tracks) बनाने की रणनीति की आलोचना की है, जो अक्सर बल्लेबाजों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही है।

    ​अतीत का घरेलू दबदबा

    ​2012 में इंग्लैंड से टेस्ट सीरीज़ हारने के बाद से, भारतीय टीम ने अपनी धरती पर लगभग 10 वर्षों तक कोई टेस्ट सीरीज़ नहीं हारी थी। इस दौरान भारत ने लगातार 15 टेस्ट सीरीज़ जीती, जो टीम इंडिया के ‘घर में शेर’ होने का प्रमाण था। विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने 31 घरेलू टेस्ट में से 24 जीते और सिर्फ 2 हारे थे। ​यह तुलना मौजूदा गिरावट की गंभीरता को रेखांकित करती है, जिससे भारतीय क्रिकेट की विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप (WTC) फाइनल में पहुँचने की उम्मीदों को भी बड़ा झटका लगा है।

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