भगवान श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या में भव्य राम मंदिर का उद्घाटन हो चुका है। हर रोज लाखो की तादाद में श्रद्धालू रामलला के दर्शन करने के लिए पहुँच रहे हैं। भक्त रामलला की मनमोहक छवि को बार-बार निहार रहे हैं और अपने हृदय में बसा रहे हैं। इस बीच रामलला की प्रतिमा बनाने वाले अरुण योगीराज ने रामलला की दिव्यता से जुड़ा एक बड़ा अनुभव साझा किया है।

प्राण प्रतिष्ठा के बाद बदला रामलला का स्वरुप
दरअसल भगवान राम की मूर्ति तैयार करने वाले मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा है कि अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के बाद से रामलला का स्वरुप बदला हुआ नजर आ रहा है। योगीराज ने बताया कि रामलला बिल्कुल अलग दिख रहे थे। मैंने मन में सोचा कि यह मेरा काम नहीं है। भगवान गर्भगृह में जाने के बाद पूरी तरह से बदले हुए नजर आ रहे थे।
योगीराज ने कहा कि मूर्ती के निर्माण के समय प्रभु की छवि अलग नजर आ रही थी। लेकिन विराजित होने के बाद उनका एक अलग ही स्वरुप नजर आया है। उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि ये मेरा काम नहीं है। ये तो बहुत अलग दिखते हैं। भगवान ने अलग रूप ले लिए हैं।

7 महीनो में तैयार की मूर्ती
योगीराज ने पिछले सात महीनों को विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण बताया क्योंकि उन्होंने इस बात पर विचार किया कि मूर्ति को कैसे पूरा किया जाए। उन्होंने कहा, “मुझे यह सुनिश्चित करना था कि मूर्ति शिल्प शास्त्र का पालन करती है, जो भगवान राम के पांच वर्षीय रूप का प्रतिनिधित्व करती है, जो एक बच्चे की मासूमियत को दर्शाती है।”
योगीराज ने बताया कि वह अपने दोस्तों से पूछते थे कि क्या रामलला की आंखें ठीक दिखती हैं। “पत्थर में भाव लाना आसान नहीं है, और आपको इसके साथ बहुत समय बिताना पड़ता है। इसलिए मैंने फैसला किया कि मैं पत्थर के साथ बहुत समय बिताऊंगा, अपना होमवर्क करूंगा, बच्चों की विशेषताओं का अध्ययन करूंगा , और बाकी सब कुछ राम लल्ला के कारण हुआ।”