अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन का मानना है कि अमेरिका 6 महीने से भी कम समय में यूक्रेन में युद्ध को खत्म कर सकता है। युद्ध को खत्म करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप इस महीने के अंत तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। उनकी कोशिशों से यूरोप को मुश्किल होगी तो खाड़ी देश इस युद्ध के खत्म होने से परेशान हो सकते हैं। दरअसलइसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ सकता है। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया है जिसका तेल की कीमतों पर सीधा असर पड़ा है। इस फैसले से खाड़ी देशों और भारत को भी जबरदस्त फायदा हुआ है। ओपेक प्लस ने तेल का उत्पादन कम कर दिया, ताकि तेल की कीमतों में उछाल आए।
धातुओं और उर्वरक पर भी होगा असर
यूक्रेन युद्ध अगर खत्म होता है तो तेल से लेकर धातु और उर्वरक जैसी जरूरी चीजों के दाम अचानक से कम होंगे। इसके अलावा प्राकृतिक गैस की कीमतों में भी भारी कमी आएगी। युद्ध खत्म होने से रूस की स्थिति सामान्य होगी और उससे कमोडिटी बाजार का बड़ा हिस्सा फिर से आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते सऊदी के रियाद में रूसी अधिकारियों से मुलाकात के बाद कहा था कि युद्ध खत्म होने के बाद समझौते के रूप में रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों को खत्म किया जाएगा। प्रतिबंध हटने से वो देश, जिन्हें रूसी तेल खरीदना बंद किया था, वो एक बार फिर से रूसी तेल खरीदना शुरू करेंगे और मिडिल ईस्ट से तेल निर्यात पर इसका असर पड़ेगा। ब्रेंट क्रूड की कीमतें 5 से 10 डॉलर प्रति बैरल सस्ती हो सकती हैं। यह खाड़ी देशों खास तौर पर सऊदी अरब के लिए यह बुरी खबर होगी। यूक्रेन युद्ध खत्म होने का सबसे ज्यादा असर तेल को ट्रांसपोर्ट करने वाले जहाज मालिकों पर होगा, जिन्होंने युद्ध की जोखिमों का हवाला देकर मोटा प्रीमियम वसूलना शुरू कर दिया था।