बिहार विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल (Exit Polls) के नतीजे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के लिए बड़ी जीत का संकेत दे रहे हैं। लगभग सभी प्रमुख एग्जिट पोल्स में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम के जादू को एकतरफा बढ़त मिलती दिखाई गई है। हालांकएग्जिट पोल केवल अनुमान होते हैं। वास्तविक परिणाम 14 नवंबर को मतगणना के बाद ही घोषित किए जाएंगे।
- एनडीए को स्पष्ट बहुमत: अधिकांश एग्जिट पोल्स में एनडीए को 122 सीटों के जादुई आंकड़े को पार करते हुए 130 से 167 सीटों के बीच मिलने का अनुमान लगाया गया है।
- बीजेपी और जेडीयू को फायदा: यह अनुमान है कि एनडीए में शामिल भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) दोनों को ही सीटों का अच्छा खासा फायदा मिल रहा है, जो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन और प्रधानमंत्री मोदी के लोकप्रिय चेहरे पर लोगों के भरोसे को दर्शाता है।
- महागठबंधन पिछड़ा: दूसरी ओर, तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन (MGB) जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं, पिछड़ता हुआ दिख रहा है। ज्यादातर पोल्स में महागठबंधन को 70 से 108 सीटों के बीच रहने का अनुमान है, जो पिछली बार के प्रदर्शन से कम है।
कांग्रेस के लिए निराशा
बिहार एग्जिट पोल्स के नतीजे कांग्रेस के लिए चिंताजनक संदेश लेकर आए हैं।
- सीटों में गिरावट का अनुमान: विभिन्न एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को बहुत कम सीटें, 4 से 15 के बीच, मिलने का अनुमान लगाया गया है।
- महागठबंधन में सीमित प्रभाव: यह दिखाता है कि महागठबंधन में रहते हुए भी कांग्रेस राज्य की राजनीति में कोई बड़ा प्रभाव नहीं छोड़ पाई है।
- नेतृत्व और रणनीति पर सवाल: पार्टी के नेताओं ने हालांकि एग्जिट पोल के नतीजों को खारिज किया है और अपनी जीत का भरोसा जताया है, लेकिन ये आंकड़े पार्टी को अपनी जमीनी पकड़ और चुनाव रणनीति पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर कर सकते हैं। यह परिणाम कांग्रेस के लिए यह संदेश है कि उसे बिहार में अपनी खोई हुई पकड़ वापस पाने के लिए नए सिरे से काम करने की आवश्यकता है।
जन सुराज (Jan Suraaj) के लिए मैसेज
प्रशांत किशोर की नवगठित पार्टी जन सुराज को इन एग्जिट पोल्स में कोई बड़ी सफलता मिलती नहीं दिख रही है।
- नगण्य या बहुत कम सीटें: ज्यादातर सर्वे एजेंसियों ने जन सुराज को 0 से 7 सीटों के बीच मिलने का अनुमान लगाया है।
- प्रशांत किशोर का प्रभाव सीमित: यह दर्शाता है कि प्रशांत किशोर ने ‘पदयात्रा’ के जरिए जो नए राजनीतिक विकल्प की चर्चा शुरू की थी, वह फिलहाल वोटों में तब्दील नहीं हो पाई है।
- संघर्ष जारी रखने का संकेत: यह परिणाम जन सुराज के लिए एक शुरुआती संदेश है कि स्थापित दलों के गढ़ वाले बिहार में एक नए राजनीतिक दल को जगह बनाने के लिए अभी और लंबा संघर्ष करना होगा। हालांकि, कुछ पोल्स में मिली छोटी संख्या भी उनके शुरुआती प्रभाव को दर्शाती है, जिसे वे भविष्य में भुनाने की कोशिश कर सकते हैं।


