पाकिस्तान को 1971 के युद्ध में मुंह की खानी पड़ी थी। इसके साथ ही बांग्लादेश एक अलग देश बन गया और तब से वह पाकिस्तान और आईएसआई की आंख की किरकिरी बना रहा। हालांकि बांग्लादेश में चरमपंथियों ने प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया लेकिन शेख हसीना के कारण ऐसा हो नहीं पाया। बहरहाल अब शेख हसीना सत्ता गंवाकर देश छोड़ चुकी हैं। ऐसे में बांग्लादेश मझधार में है। पाकिस्तान और आईएसआई की नजर पड़ोसी देश पर है। इस बीच सेंट मार्टिन द्वीप की चर्चाएं भी शुरू हो चुकी हैं। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आरोप लगाया कि अगर उन्होंने बंगाल की खाड़ी में स्थित सेंट मार्टिन द्वीप को अमेरिका को सौंप दिया होता तो वे सत्ता में बनी रहतीं। उनके इस बयान के बाद हंगामा मच गया। खतरे की बात यह है कि म्यांमार के रोहिंग्या और आईएसआई यहां प्रभुत्व बनाने की जुगत में हैं। ऐसे में यह भारत के लिए खतरे की घंटी है।
छोटी सी जगह, लेकिन महत्व बहुत बड़ा
बंगाल की खाड़ी में एक छोटी सा द्वीप सेंट मार्टिन है। यह द्वीप बांग्लादेश के समुद्रतटीय जिले कॉक्स बाजार का हिस्सा है। यह मुख्य भूमि से 9 किलोमीटर की दूरी पर है। प्राकृतिक खूबसूरती ऐसी कि इसे देखने के लिए देश-दुनिया के सैलानी आते हैं। यह नाफ नदी के मुहाने पर स्थित है, जो बांग्लादेश और म्यांमार की अंतरराष्ट्रीय सीमा है। इस द्वीप पर चीन-पाकिस्तान और अमेरिका भी नजरें गड़ाए हुए है, क्योंकि इसकी रणनीतिक अहमियत ज्यादा है। यहां से दुनिया के किसी भी हिस्से में समुद्री रास्ते से जाया जा सकता है। इस द्वीप से पूरे बंगाल की खाड़ी पर नजर रखी जा सकती है। सेंट मार्टिन में अमेरिका अपना आर्मी बेस बनाना चाहता है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन लगातार अपना दबदबा बढ़ा रहा है। अमेरिका ने इस क्षेत्र में अपनी इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी से चीन को करारा जवाब दिया है। भारत के लिए भी यह द्वीप बेहद अहम हो गया है।
इसलिए नाम पड़ा सेंट मार्टिन
19वीं सदी की शुरुआत में यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा था। उस वक्त इसका नाम चटगांव के डिप्टी कमिश्नर मिस्टर मार्टिन के नाम पर सेंट मार्टिन पड़ गया। अभी इसकी आबादी करीब 8,000 है। यह इलाका म्यांमार के राखाइन स्टेट के पास पड़ता है, जहां से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम भागकर आते रहे हैं। भारत के बंटवारे में सेंट मार्टिन पाकिस्तान के हिस्से में चला गया। 1971 में आजाद होने के बाद यह इलाका बांग्लादेश के हिस्से में आ गया। बीते कई सालों से म्यांमार की जुंटा आर्मी बांग्लादेश के सेंट मार्टिन द्वीप को कब्जा करने के मंसूबा पाले हुए है। वह आईएसआई के इशारे पर टेकनाफ और सेंट मार्टिन के समुद्री रास्तों पर ट्रॉलर और दूसरे जहाजों से बांग्लादेशी नौकाओं पर गोलीबारी कर रही है। म्यांमार में सेना ने 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट करके कब्जा कर लिया था। तभी से म्यांमार में गृहयुद्ध के हालात हैं।
क्या रोहिंग्याओं ने बांग्लादेश में किया तख्तापलट?
मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि बांग्लादेश में अगस्त 2017 करीब 1.20 करोड़ से ज्यादा मुस्लिम रोहिंग्याओं को बांग्लादेश में शरण दी गई थी। अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी एक कुख्यात उग्रवादी संगठन है, जो इंटरनेशनल ड्रग्स, हथियार और मानव तस्करी में भी शामिल है। अब इसी का फायदा पाकिस्तान और चीन उठा रहे हैं। म्यांमार की सेना रोहिंग्या मुस्लिमों की एक लड़ाकू आर्मी बना रही है, जिसे सेंट मार्टिन द्वीप पर कब्जा करने का टॉस्क दिया गया है। रोहिंग्या आर्मी को आईएसआई आत्मघाती हमले के लिए ट्रेनिंग दे रही है। ऐसे में अंदेशा यह भी है कि कहीं रोहिंग्याओं ने ही तो बांग्लादेश में तख्तापलट तो नहीं कराया?