दिल्ली के लाल किले के पास हुए कार बम धमाके में मुख्य आरोपी डॉ. उमर उन-नबी की मौत की पुष्टि डीएनए जांच से हुई है। धमाके की भयावहता इतनी अधिक थी कि उमर का शरीर पूरी तरह से क्षत-विक्षत हो गया था, जिससे उसकी पहचान करना जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी।
विस्फोट की भयावहता और अवशेष
- शरीर के चीथड़े: विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि डॉ. उमर का शरीर कई टुकड़ों में बिखर गया। कार के इंजन के हिस्सों पर मांस के टुकड़े चिपके हुए मिले थे।
- पैर का पंजा: मिली जानकारी के अनुसार, घटनास्थल से डॉ. उमर के शरीर के अवशेषों में एक पैर का पंजा भी मिला था।
- जानवरों का शिकार: सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि विस्फोट के बाद डॉ. उमर के शरीर के कई टुकड़ों को संभवतः जानवर खा गए थे, जिससे अवशेषों को इकट्ठा करना और पहचान करना और भी मुश्किल हो गया था।
- डीएनए पुष्टि: पहचान की पुष्टि के लिए जम्मू-कश्मीर के पुलवामा स्थित उसके घर से डॉ. उमर की माँ का डीएनए सैंपल लिया गया। इस सैंपल को विस्फोट स्थल से मिले शरीर के अज्ञात टुकड़ों (unidentified remains) के साथ मैच किया गया, जो 100% मैच हो गया, जिससे यह साबित हुआ कि विस्फोट के समय कार में डॉ. उमर ही मौजूद था।
धमाके से जुड़ी मुख्य जानकारी
- आतंकी मॉड्यूल: डॉ. उमर पुलवामा का रहने वाला था और फरीदाबाद में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद के एक ‘व्हाइट-कॉलर’ आतंकी मॉड्यूल का मुख्य सदस्य था।
- हमले का कारण: माना जा रहा है कि फरीदाबाद में उसके साथियों की गिरफ्तारी और भारी मात्रा में विस्फोटक (लगभग 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट) बरामद होने से घबराकर डॉ. उमर ने हड़बड़ी में कार में रखे विस्फोटक में विस्फोट कर दिया।
- मृत्यु: सोमवार (10 नवंबर, 2025) शाम को लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास हुंडई i20 कार में हुए इस आत्मघाती विस्फोट में डॉ. उमर समेत कुल 12 लोगों की जान गई।


