कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में दम तो भरा और 99 सीटें भी हासिल की लेकिन लगता है इसे प्रदर्शन को कांग्रेस बरकरार नहीं रख पाई। या कहें कि अति आत्मविश्वास के कारण ही कांग्रेस की लुटिया धीरे-धीरे डूबने लगी है। लोकसभा चुनाव के दौरान संविधान की दुहाई देकर और संविधान की किताब लहराकर राहुल गांधी ने कुछ हद तक बीजेपी को नुकसान पहुंचाया। लेकिन इस जीत के बाद पार्टी मंत्रमुग्ध भी हो गई। उसे लगा कि वह बाकी के चुनाव आसानी से जीत जाएगी लेकिन ऐसा कुछ होता हुआ नहीं दिख रहा है। कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है। कर्नाटक छोडक़र जिन राज्यों में भी उसकी सत्ता है, वे या तो छोटा राज्य हैं या वह गठबंधन में सहयोगी के तौर पर हैं। ऐसे में कांग्रेस को अपना वजूद बचाने के लिए दमदार प्रदर्शन करना होगा।
चेहरा तो राहुल गांधी ही हैं
माना जाता है कि कांग्रेस की हार और जीत के पीछे राहुल गांधी ही हैं। पार्टी अगर अच्छा प्रदर्शन करती है तो उसका श्रेय भी उन्हें ही जाता है। वैसे भी कांग्रेस मतलब गांधी परिवार और गांधी परिवार मतलब कांग्रेस ही है। ऐसे में भले ही मल्लिकार्जुन खरगे राष्ट्रीय अध्यक्ष हों लेकिन पार्टी के पीछे की राजनीति और पार्टी का चेहरा तो गांधी परिवार ही है।
हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में बन गई हार की हैट्रिक
कांग्रेस को लग रहा था कि वह हरियाणा चुनाव तो ऐसे ही जीत जाएगी। टीवी चैनल और सर्वे में यह भी बताया गया कि कांग्रेस की वापसी हो रही है। ऐसे में पार्टी मंत्रमुग्ध हो गई। राज्य में भले ही पार्टी दो फाड़ रही हो लेकिन उसे लगा कि उसे तो बंपर सीटें मिलने वाली हैं, लेकिन ऐसा हो ना सका। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे के सहारे भाजपा ने कांग्रेस को साफ कर दिया। पार्टी ने इसका दोष भले ही ईवीएम के सिर पर मढ़ा हो लेकिन महाराष्ट्र चुनाव में उसे अपनी जमीन दिख गई। यहां भी लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद कांग्रेस व एमवीए के दल सत्ता पाने का सपना देख रहे थे, लेकिन बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के कारण हार का सामना करना पड़ा।
वीडियो बनाना नहीं आया काम
दो राज्यों में हार के बाद कांग्रेस को लगा कि वह दिल्ली में दम दिखा सकती है और अपने पुराने कार्यकाल की याद कराकर जनता से वोट मांग सकती है। राहुल गांधी ने प्रयास भी किया और अचानक प्रकट होकर वीडियो बनाकर लोगों को दिल्ली की बदहाली, नाली, सडक़ और एम्स भी दिखाया लेकिन लगता है जनता को राहुल गांधी का यह अंदाज पसंद नहीं आया। यही वजह है कि कांग्रेस तीसरी बार भी जीरो पर ही अटककर रह गई। इस तरह पार्टी की तीन राज्यों में हार की हैट्रिक बन गई।
पूर्वोत्तर में सूपड़ा साफ
आने वाले समय में बिहार में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस यहां भी राजद के भरोसे ही है। इसके अलावा तमिलनाडु, झारखंड और जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस सहयोगियों के भरोसे राजनीति कर रही है। मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड, त्रिपुरा सिक्किम और पुडुचेरी में उसकी हालत खराब है। पूर्वोत्तर में कांग्रेस लगभग साफ होते जा रही है।