हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। यहां की 90 विधानसभा सीटों पर एक साथ एक अक्टूबर को वोटिंग होगी। नतीजों का ऐलान 4 अक्टूबर को हो जाएगा। इसी के साथ यह भी तय हो जाएगा कि 10 साल बाद कांग्रेस वापसी करेगी या फिर भाजपा की सरकार हैट्रिक लगाकर फिर से वापसी करेगी। बहरहाल हरियाणा में कांग्रेस और भाजपा के अलावा आईएनएलडी और जेजेपी भी चुनाव मैदान हैं। आईएनएलडी का बसपा से गठबंधन हो चुका है। वहीं आम आदमी पार्टी ने भी चुनावी मैदान में ताल ठोकने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में अगर उसका कांग्रेस के साथ समझौता नहीं हुआ तो वोट कटना तय है। अगर गठबंधन हुआ तो कांग्रेस की उम्मीदें परवान चढ़ेंगी और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वोटों के बिखराव का फायदा भाजपा को होना तय है।
गुटबाजी से पार पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल
ज्यादा संभावना यही है कि चुनाव प्रचार की कमान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में होगी। ऐसे में उनकी पसंद और नापसंद पर ही टिकट का वितरण होगा। हालांकि दूसरा खेमा कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला का है, जो कदम-कदम पर हुड्डा की राह में रोड़े अटकाएंगे। इससे पहले दोनों खेमों के बीच तलवारें खिंची रही हैं। हाल ही में कुमारी शैलजा ने प्रदेश अध्यक्ष पर भेदभाव करने के आरोप लगाए थे और भरी मीटिंग में राहुल-खरगे के सामने ही जमकर तू-तू मैं-मैं हुई थी। ऐसे में गुटबाजी का खामियाजा कांग्रेस को उठाना पड़ सकता है।
गठबंधन पर फंसेगा पेंच
अगर गठबंधन की बात जाए तो हुड्डा आप से गठबंधन के समर्थन में नहीं हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस अकेले दम पर चुनाव में जीत हासिल कर लेगी। ऐसे में आम आदमी पार्टी से गठबंधन का ज्यादा फायदा नहीं होगा। उल्टा आप को राज्य में जड़ें जमाने का मौका मिल जाएगा। हालांकि यह भी तय है कि गठबंधन का फैसला दिल्ली से होगा। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे ही तय करेंगे कि आप से गठबंधन करना है या नहीं। लोकसभ चुनाव में कांग्रेस ने आप को एक सीट दी थी। ऐसे में बेहतर संबंधों के आधार पर समझौता कर गठबंधन का ऐलान भी हो सकता है।