भारत दुनिया का सिरमौर बनने के लिए प्रयास कर रहा है। इसके साथ ही प्रयास है कि चीन पर निर्भरता कम की जाए। यही वजह है कि असम के मोरीगांव में देश का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्लांट जल्द ही बनकर तैयार हो जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि यह प्लांट इसी साल बनकर तैयार हो जाएगा और अगले साल से इस प्लांट में चिप बनने लगेंगी। मेक इन इंडिया सेमीकंडक्टर चिप का उपयोग भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका यूरोप और जापान में भी होगा। इससे ऑटोमोबाइल सेक्टर में भारत की धमक बढ़ेगी।
इलेक्ट्रॉनिक सिटी के निर्माण की भी योजना
सूचना प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने असम के जागीरोज में टाटा की ओर से 27000 करोड़ रुपए की लागत से तैयार कराई जा रहे सेमीकंडक्टर यूनिट का निरीक्षण किया है। इस दौरान वैष्णव ने जानकारी दी कि पहले प्लांट 2025 में बनकर तैयार हो जाएगा। यह भारत का सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्लांट होगा जिसमें 40000 कर्मचारी काम करेंगे। उनके लिए आवास सुविधा और एक संपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक सिटी के निर्माण की भी योजना बनाई जा रही है। जाहिर है सेमीकंडक्टर प्लांट से बनी चिप का उपयोग अमेरिका, यूरोप में बनी कारों और अन्य वाहनों में भी होगा। वहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का दावा है कि 5 साल में इंडियन ऑटो इंडस्ट्री अमेरिका और चीनी ऑटो इंडस्ट्री को पछाड़ देगी।
इंडस्ट्रियल पार्क के जरिए दुनिया में बढ़ेगी धमक
भारत अगले 5 साल में दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग हब बनना चाहता है। इसके लिए ग्लोबल एक्सपोर्ट में हिस्सेदारी बढक़र 4 प्रतिशत करने की तैयारी है। दुनिया की फैक्ट्री बनने के लिए भारत चीन की तरह औद्योगिक पार्क बनाने की योजना पर काम कर रहा है। केंद्र सरकार 2030 तक कम से कम 20 नई इंडस्ट्रियल पार्क डेवलप करना चाहता है। अभी ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में भारत पांचवें स्थान पर है।
तीसरे स्थान पर आने की तैयारी
भारत इस क्षेत्र में अगले 5 साल में तीसरे स्थान पर आने की तैयारी में है। केंद्र सरकार की तैयारी देश में 5 केमिकल और पेट्रोकेमिकल पार्क तैयार करने की है। इसके अलावा साथ टेक्सटाइल पार्क 5 फुटवियर पार्क के साथ मेडिकल इक्विपमेंट और बल्क ड्रग्स पार्क विकसित करने की भी योजना है। इन इंडस्ट्रियल पार्क में कंपनियों को डेडीकेटेड स्पेस उपलब्ध कराया जाएगा, जहां से उन्हें कच्चे माल से लेकर अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। खास बात यह है कि इंडस्ट्रियल पार्क को विकसित करने के लिए वनिज मंत्रालय के साथ फार्मा टेक्सटाइल और पेट्रोललियम मंत्रालय के साथ बातचीत चल रही है। अगर योजना सफल रही तो 2020 तक 20 नए डेडीकेटेड मेगा इंडस्ट्रियल पार्क बनकर तैयार हो जाएंगे।