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    ‘बिरादर’ पाकिस्तान बना दुश्मन, भारत के लिए खतरा ‘तालिबान’ बना दोस्त, जानें कैसे हुआ यह सब?

    ​एक समय था जब पाकिस्तान अफगानिस्तान के तालिबान को अपनी “रणनीतिक गहराई” मानता था और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसका सबसे बड़ा समर्थक था। लेकिन आज, यही तालिबान पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है, जबकि भारत के साथ उसके रिश्ते मजबूत हो रहे हैं। यह बदलाव दक्षिण एशिया की भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहाँ दुश्मन का दुश्मन दोस्त बनने के चाणक्य सिद्धांत पर काम हो रहा है।

    ​पाकिस्तान और तालिबान के बिगड़ते रिश्ते का सिलसिला

    ​पाकिस्तान और अफगान तालिबान (Islamic Emirate of Afghanistan – IEA) के रिश्ते बिगड़ने के पीछे मुख्य रूप से दो बड़े कारण हैं: डूरंड रेखा और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP)

    ​1. डूरंड रेखा का विवाद

    ​डूरंड रेखा (Durand Line) वह 2,640 किलोमीटर लंबी विवादास्पद सीमा है जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान को अलग करती है।

    • मूल विवाद: अफगानिस्तान, चाहे वह पिछली सरकार हो या मौजूदा तालिबान शासन, इस सीमा को कभी स्वीकार नहीं करता। यह रेखा सीमा के दोनों ओर रहने वाले पश्तून समुदाय को विभाजित करती है, जिसे तालिबान अपनी संप्रभुता और पश्तून पहचान के खिलाफ मानता है।
    • सीमा पर टकराव: तालिबान के सत्ता में आने के बाद से, अफगान सेना (तालिबान लड़ाके) ने कई बार इस सीमा पर बाड़ लगाने को लेकर पाकिस्तान सेना से भिड़ंत की है, जिसने दोनों के बीच तनाव को बढ़ाया है।

    ​2. TTP (पाकिस्तानी तालिबान) का मुद्दा

    ​तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP), जिसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहा जाता है, पाकिस्तान में सक्रिय एक आतंकवादी समूह है जो अफगान तालिबान की ही विचारधारा का है।

    • पाकिस्तान का आरोप: पाकिस्तान का दावा है कि TTP के आतंकवादी अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान सेना और नागरिकों पर हमले करने के लिए कर रहे हैं। पाकिस्तान लगातार तालिबान से TTP को खत्म करने की मांग कर रहा है।
    • तालिबान का जवाब: अफगान तालिबान इन आरोपों को खारिज करता है। वह कहता है कि TTP के लड़ाके पाकिस्तान से आए शरणार्थी हैं, जिन्हें पहले अमेरिका-समर्थित सरकारों ने पनाह दी थी। तालिबान का कहना है कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक सुरक्षा खुद संभालनी चाहिए और वह अपनी धरती को किसी के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देगा।
    • खुली दुश्मनी: TTP के ठिकानों पर पाकिस्तान द्वारा किए गए हवाई हमले (जैसे कि हाल ही में काबुल के पास) ने तनाव को युद्ध जैसी स्थिति में ला दिया है। तालिबान इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताता है और दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर एक-दूसरे के खिलाफ तैनात हैं। इस सिलसिलेवार टकराव ने भाईचारे के रिश्ते को दुश्मनी में बदल दिया है।

    ​भारत की खतरा बना तालिबान ऐसे बन गया दोस्त

    ​एक समय, तालिबान को भारत के लिए बड़ा सुरक्षा खतरा माना जाता था। 1999 में इंडियन एयरलाइंस की फ़्लाइट IC-814 का अपहरण इसकी सबसे बड़ी मिसाल है, जब अपहर्ताओं को तालिबान शासित अफगानिस्तान में शरण मिली थी।

    ​हालांकि, 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से भारत ने व्यावहारिक (Pragmatic) कूटनीति अपनाई है, जिससे रिश्ते मजबूत हुए हैं।

    ​1. मानवीय सहायता (Soft Power)

    • गेहूं और दवाइयाँ: भारत ने अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट को देखते हुए गेहूं, दवाइयों और अन्य जरूरी सामान की कई खेपें भेजी हैं। यह कदम अफगानिस्तान के लोगों के बीच भारत की छवि को बेहतर बनाता है।
    • एंबुलेंस और उपकरण: अफगानिस्तान के लोग सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की सेना द्वारा हवाई हमले और भारत द्वारा एंबुलेंस व स्वास्थ्य सुविधाएं देने की तुलना करते हैं, जिससे भारत के प्रति सकारात्मक भावना पैदा होती है।

    ​2. क्षेत्रीय हितों का संतुलन (Diplomatic Engagement)

    • कूटनीतिक उपस्थिति: भारत ने तालिबान को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन काबुल में अपना दूतावास फिर से खोलकर एक तकनीकी टीम तैनात की है। यह क्षेत्रीय स्थिरता और भारत के 3 अरब डॉलर के निवेश को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक था।
    • उच्च स्तरीय संपर्क: हाल ही में, तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने भारत की आधिकारिक यात्रा की और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। यह अफगानिस्तान की क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत को महत्व देने की कूटनीतिक जीत है।

    ​3. दुश्मन का दुश्मन: पाकिस्तान का साझा विरोध

    • पाकिस्तान की चिंता: भारत-अफगानिस्तान की नजदीकी पाकिस्तान को परेशान कर रही है क्योंकि वह अब तक अफगानिस्तान को अपने प्रभाव क्षेत्र में मानता था। तालिबान ने पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है कि “हमारा दिल बड़ा है” और भारत से दोस्ती पर किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
    • सुरक्षा गारंटी: तालिबान ने भारत को आश्वासन दिया है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल किसी भी समूह को भारत के खिलाफ नहीं करने देगा। यह भारत के लिए एक बड़ी सुरक्षा गारंटी है।

    :पाकिस्तान का तालिबान के साथ ‘बिरादर’ (भाई) का रिश्ता मुख्य रूप से TTP और डूरंड रेखा के विवाद के कारण टूट गया है। वहीं, भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता और व्यावहारिक कूटनीति के माध्यम से जीता है। पाकिस्तान की कमजोरी और भारत की दरियादिली ने क्षेत्रीय समीकरण को बदल दिया है, जहाँ भारत अब अफगानिस्तान के लिए भरोसेमंद दोस्त के रूप में उभरा है, और तालिबान भी अंतर्राष्ट्रीय पहचान और क्षेत्रीय समर्थन के लिए भारत को महत्वपूर्ण मानता है।

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