एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। इसके साथ उनका भाजपा के साथ हाथ मिलाना लगभग तय है। ऐसा होने पर महाराष्ट्र के राजनीतिक समीकरण बदल जाएंगे। भले ही एमएनएस के पास ज्यादा ताकत नहीं है, लेकिन इसे उद्धव को जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। राज ठाकरे की शख्सियत बालासाहेब ठाकरे की तरह है। ऐसे में भाजपा उन्हें अपने साथ मिलाकर उद्धव गुट का मनोबल तोडऩा चाहती है। अब भाजपा के साथ शिवसेना शिंदे गुट, एनसीपी अजित पवार गुट और राज ठाकरे के साथ रामदास अठावले का साथ है। ऐसे में भाजपा का यहां सभी समीकरण पूरे होते दिख रहे हैं। भाजपा ने पूर्व सीएम और कांग्र्रेस नेता अशोक चव्हाण को भी अपने साथ मिला लिया है। भाजपा लोकसभा चुनाव और इसके बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। यही वजह है कि राज ठाकरे को अपने पाले में किया है।
साइडलाइन हो चुके थे राज
राज ठाकरे ने अपनी पार्टी बनाते हुए धमाकेदार शुरुआत तो की थी, लेकिन बाद में वह उसे अंजाम तक नहीं पहुंचा पाए। एक बार उनके 13 विधायक चुने गए, जबकि दूसरी बार सिर्फ एक विधायक चुना गया। राज ने 2014 में मोदी का समर्थन किया, लेकिन 2019 में विरोध कर कांग्रेस-एनसीपी को मदद पहुंचाई। इसके बाद वे राजनीतिक परिदृश्य से ओझल होते दिखे। जब शिवसेना ने भाजपा से किनारा किया तो लगा कि मनसे भाजपा साथ आएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। राज ठाकरे की भी मजबूरी थी कि वे भाजपा के पाले में जाएं। क्योंकि उनकी राजनीति शिवसेना और भाजपा के हिंदुत्व से मेल खाती है। ऐसे में कांग्रेस-एनसीपी और उद्धव गुट के पाले में जाने से यह विकल्प उन्होंने बेहतर समझा। शरद पवार ने अपनी तरह मिलाने का प्रयास भी किया लेकिन राज ने इसे नजरअंदाज कर दिया।
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