नवंबर 2023.. कांग्रेस का दावा था कि वह छत्तीसगढ़ में सरकार में वापस आ रही है, राजस्थान को उसने गैन कर लिया है और मप्र तो शर्तिया जीत रही है। जब नतीजे आए तो हुआ इसका उलट। भाजपा तीनों राज्यों में जीत गई। बहरहाल कांग्रेस को लगा कि चलो लोकसभा की तैयारी करते हैं। लेकिन भाजपा ने तो कुछ और ही गेमप्लॉन तैयार कर रखा था। दिसंबर से ही घर-घर रामनाम की अलख जगने लगी। अक्षत यात्राएं निकलने लगीं। जैसे-जैसे भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा का दिन आता गया मानो पूरा जग ही राममय हो गया। इस बीच कांग्रेस ने बड़ी रणनीतिक चूक कर दी। यह चूक थी अयोध्या का न्यौता ठुकराने की। कांग्रेस को लगा कि 90 के दशक की तरह वह बीजेपी-आरएसएस का हौव्वा खड़ा कर सबको साध लेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। इस बीच राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाली, लेकिन जैसे-जैसे वे राज्यों में पहुंच रहे हैं, उससे पहले ही वहां कांग्रेस का बंठाढार होते जा रहा है।
ऐसे गर्त में जा रही कांग्रेस
न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू हुई। असम आते-आते राहुल गांधी सीएम हिमंत बिस्वा सरमा से उलझ गए। मंदिर न जाने पर विवाद हुआ और कांग्रेस को लगा कि उसे तो भरपूर पब्लिसिटी मिल गई है। बहरहाल तब तक बिहार में नीतीश कुमार ने खेला कर दिया। ममता बनर्जी ने एकला चलो का नारा बुलंद कर दिया। इस बीच मप्र, महाराष्ट्र, असम, उत्तर प्रदेश से लगातार लोग कांग्रेस छोडक़र जा रहे हैं। महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक चव्हाण पार्टी छोडक़र भाजपा में शामिल हो गए। उनके साथ 10-12 विधायक पार्टी छोड़ सकते हैं। अजित पवार के हाथ एनसीपी की कमान आ चुकी है। भाजपा कह रही है कि यह तो बस शुरुआत है। उत्तर प्रदेश से भी पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के पोते विभाकर शास्त्री कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
मप्र से कमलनाथ ने भी दे दिए संकेत
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी कुछ ऐसे ही संकेत दे रहे हैं। जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि कि सुमित्रा महाजन ने आपको कहा है, राम बोलो, और भाजपा में आ जाओ? तो उन्होंने कह दिया कि वो कह रही हैं, आप लोग क्या कह रहे हैं। कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोडक़र भाजपा जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जिसकी जो मरजी हो वो करे। कमलनाथ के इस लहजे से यह संकेत हैं कि वे या उनके सांसद पुत्र नकुल नाथ भी पार्टी छोड़ सकते हैं। राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा के बारे में भी कुछ यही कहा जा रहा है। जबलपुर से महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू पार्टी छोड़ चुके हैं तो कुछ पूर्व विधायक भी कांग्रेस का हाथ छोडऩे की तैयारी में हैं। ऐसे में मप्र में भगदड़ की स्थिति तो बन ही चुकी है।
ये भी हैं दुर्गति के प्रमुख कारण
उप्र के निष्कासित कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम कहते हैं कि कांग्रेस ने राम को छोड़ दिया तो जनता भी उसका साथ छोड़ देगी। ज्यादातर कांग्रेस छोडऩे वाले नेता भी राममंदिर का न्यौता ठुकराने को ही वजह बता रहे हैं। लेकिन इकलौती यह वजह नहीं है। एक तो लगातार हार, दूसरा पार्टी में अब भी राहुल गांधी की दखल, प्रदेश के नेताओं की अनसुनी और निर्णयहीनता और शीर्ष स्तर पर नेतृत्वहीनता की स्थिति ने कांग्रेस की यह दुर्गति कर दी है।