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    इस्लामोफोबिया के खिलाफ UN में प्रस्ताव.. समर्थन में भारत ने यह कहा

    संयुक्त राष्ट्र में इस्लामोफोबिया के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया गया है। चर्चा के दौरान भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन कहा कि धार्मिक भेदभाव न सिर्फ इस्लाम के खिलाफ बल्कि किसी भी धर्म के खिलाफ गलत है।

    भारत सदियों से है विविधता की धरती

    पी हरीश ने कहा कि भारत विविधता और बहुलवाद की धरती रही है, जहां दुनिया के हर धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। भारत दुनिया के चार बड़े धर्मों की जन्मस्थली रहा है, जिनमें सनातन धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म हैं। भारत में करीब 20 करोड़ मुसलमान रहते हैं और यह दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देशों में से एक है। हम मुस्लिमों के खिलाफ धार्मिक भेदभाव की निंदा करते हैं और इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के देशों के साथ हैं। यह भी मानना जरूरी है कि धार्मिक भेदभाव एक बड़ी चुनौती है और यह दुनिया में सभी धर्म के मानने वाले लोगों को प्रभावित करता है।

    इसलिए पेश किया गया प्रस्ताव

    गौरतलब है कि इस्लामिक देशों के समूह ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कॉपरेशन ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया, जिसमें इस्लामोफोबिया से लड़ने की दिशा में 15 मार्च को ‘इस्लमोफोबिया से लड़ने का अंतरराष्ट्रीय दिवस’ मनाने की मांग की गई है। प्रस्ताव में कहा गया कि आतंकवाद और कट्टरपंथ को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता या जातीय समूह के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।

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